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समा दुःखखाणी रे ॥ वंडित काम कामता, दुर्ग तियें जाय प्राणी रे ॥ २६ ॥ न० ॥ क्रोधें यधोग ति पामियें, मानें धमगति होय रे ॥ माया शुनगति प्रत्ये हणे, लोन की जय दोय रे ॥ २७ ॥ २० ॥ उचरा ध्ययनथी नखा, प्रश्न उत्तर यनिरामोरे ॥ पनरमी ढाल पूरी यई, समय सुंदर हित कामो रे || || २ ||नन ॥ ढाल शोलमी ॥ रयण केता रे माइ ऊलमलां ॥ ए देशी ॥
॥ ब्राह्मणनुं रूप फेरीयुं, थाप प्रगट थयो ५ ॥ चपल कुंमल खानरणथको, प्रणमी पाय अरविंद ॥ ॥ १ ॥ इंड् प्रशंसा एम करे | धन्य धन्य तुं कृषि राय ॥ त्रस्य प्रदक्षिणा देई करी, प्रणमी वारवार पाय ॥ २ ॥ ई इ० ॥ दो तें क्रोध दूरें कीयो, थदो तें जीत्यो थ निमान ॥ अहो तें माया ममता तजी, यहो लोन तज्यो असमान ॥ ३ ॥ ५० ॥ अहो तें खार्जव थ ति जलो, हो तें माईव सार ॥ थदो तें साधु कुमा जली, ग्रहो तें मुत्ति उदार ॥ ४ ॥ ० ॥ इण नव उत्तम पूज्य तुं, परनव होइश सि६ ॥ पामीश साधु तुं मुक्तिनां, सासतां सुख समृद्ध ॥ ५ ॥ ० ॥ धन्य करणी तोरी साधुजी, धन्य पिता कुल धन्य ॥ धन्य मा
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