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( ) शुं, वस्त्रदान मुनिराय ॥ सुख पाम्या दाम्या अरि, दान तणे सुपसाय ॥ ७॥ सरस कथा संबंध , सु
जो सहु नर नार ॥ आलस नंघ प्रमाद तजी, ध रजो चित्त मकार ||॥
॥ ढाल पहेली ॥ चोपाश्नी देशी॥ ॥णहीज जंबुद्धीप मकार, दक्षिण नरतक्षेत्र सुविचार ॥ नयरी अनुपम वाणारसी, त्रिन्नुवनमा नहीं अलका इसी ॥१॥ विशमो गढने विशमी पोल फलके रविकोशीसा नत ॥ नंचा घर मंदिर कैलास सप्तनूमिया जिहां आवास ॥॥ जिन मंदिर शिव में दिर जिहां, साधु साधवी विचरे तिहां ॥ वारु चा रे वर्ण त्यां वसे, धर्मकरण सहु को नल्लसे ॥३॥ लो क सुखी तिहां धनद समान, घर घर दीजें वेंडित दी न॥दीन दुःखीनी करे संन्नाल, जीव सहना जे प्रति पाल ॥४॥ न करे को केहनी कांई तांत, जेहथी थाये कलि नत्पात ॥ न करे परनिंदा परशेह, एह वा लोक वसे कृत सोह ॥५॥तिरा नगरी मकरध्व ज नूप, अनिनव मकरध्वज अनुरूप ॥ न्यायवंत गु एगवंत कृपाल, अरियणने लागे जेम काल ॥६॥ पं चमो लोकपाल नूपाल, देखी हरखे बालगोपाल ।
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