SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चिदानंदजी कृत पद. परतावोगे आखर,बीत गया यो वेरारे ॥ चिदानंद प्रनु पदकज सेवत, बहुरिन होय नव फेरारे॥मा॥३॥ ॥पद उगणीशमुं॥ राग धन्याश्री॥. ॥ नूल्यो नमत कहा बे अजान ॥ नूट्यो न०॥ए आंकणी॥बाल पंपाल सकल तज मूरख, कर अनुन व रस पान ॥ नू० ॥१॥आय कृतांत गहेगो इकदिन, हरि मृग जेम अचान॥होयगो तन धनथी तूं न्यारो, जेम पाक्यो तरुपान ॥ नू ॥२॥ मात तात तरुणी सुतसेंती, गरज न सरत निदान ॥ चिदानंद ए वचन हैमारो, धर राखो प्यारे कान ॥ नू॥३॥ इति पदं॥ ॥ पद वीशर्मु ॥ राग धन्याश्री॥ ॥ संतो अचरिज रूप तमासा ॥ संतो ॥ ए यां कणी ॥ कीडीके पग कुंजर बांध्यो, जलमें मकर पी यासा ॥ संतो० ॥१॥ करत हलाहल पान रुची धर, तज अमृत रस खासा ॥चिंतामणि तजी धरत चि त्तमें, काचशकलकी यासा ॥ संतो० ॥ २ ॥ बिन बादर बरखा अति बरसत, बिनदिग वहत बतासा ॥ वज गलत हम देखा जलमें, कोरा रहत पतासा ॥ ॥ संतो० ॥ ३ ॥ बेर अनादि पण ऊपरथी, देखत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005372
Book TitleAnandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy