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॥ श्री चिदानंदाय नमः ॥ ॥ अथ श्री चिदानंदजी अपर नाम । ॥ कपूरचंदजी कृत बहोतेरीनां पद ॥
॥प्रारंनः॥ ॥ पद पहेलु ॥ राग मारु ॥ ॥ पिया परघर मत जावो रे, करि करुणा महा राज ॥ पिया०॥ ए अांकणी ॥ कुल मरजादा लो पकें रे, जे जन परघर जाय॥तिणकुं उनय लोक सुर्ण प्यारे, रंचक शोना नांय ॥ पिया ॥ १ ॥ कुमतार्स गें तुम रहे रे, आयु काल अनाद ॥ तामें मोह दिखा बहु प्यारे, कहा निकाल्यो स्वाद ॥ पिया ॥ ॥ लगत पिया कह्यो माहरो रे, अशुन तुमारे चित्त ॥ पण मोथी न रहाय रे प्यारे, कह्या विना सुण मित्त ॥ पिया ॥३॥ घर अपने वालम कहो रे, कोण वस्तुकी खोट ॥ फोगट तद केम लीजीयें प्यारे, शीश नरमकी पोट ॥ पिया० ॥ ॥ सुनि समताकी विनति रे, चिदानंद महाराज ॥ कुमता नेह निवारकें प्यारे, लीनो शिवपुर राजापिया॥५॥
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