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यानंदघनजी कृत पद.
पद एकशो पांचमुं ॥ राग आशावरी ॥ ॥ अवधू वैराग बेटा जाया, वाने खोज कुटुंब सब खाया ॥ ० ॥ जेसे ममता माया खाई, सुख डुःख दोनों जाई ॥ काम क्रोध दोनोकुं खाई, खाई तृष्णा बाई ॥ ० ॥ १॥ दुर्मति दादी मत्सर दादा, मुख देखतही मूया || मंगलरूपी बधाइ वांची, ए जब बेटा हूवा ॥ ० ॥ २ ॥ पुण्य पाप पाडोशी खाये, मान काम दोन मामा ॥ मोह नगरका राजा खाया, पीछेंही प्रेम ते गामा ॥ ० ॥ ३ ॥ नाव नाम धरो बेटाको, महिमा वरण्यो न जाई ॥ श्रानं दघन प्रभु नाव प्रगट करो, घट घट रह्यो समाइ ॥ ॥ ० ॥ ४ ॥ इति पदं ॥
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॥ इति महामुनि श्री प्रानंदघनजी माहाराज कृत बहोंतेरी श्रादि कनां पढ़ो समाप्त ॥
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