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चिदानंदजी कृत पद, ए५ नक्ति हिरदयमें गने, चिदानंद मन आनंद आने ॥ ता० ॥ ५ ॥ इति पदं।
॥पद बारामुं॥ .. ॥ हो वांसलडी वेरण थइ लागी रे वजनीनारने॥ ए देशी॥ हो प्रीतमजीप्रीतकीरीत अनित्य तजी च त धारीयें। हो वालमजी वचन तणो अति उंमो म रम विचारीयें ॥ ए बांकणी ॥ तुमें कुमतिके घर जा वो बो, निज कुलमें खोट लगावो बो, धिक एव जग तनी खावो डो॥ हो प्री० ॥१॥ तमें त्याग अमी विष पीयो बो, कुगतिनो मारग लीयो बो, एतो का ज अजुगतो कीयो डो॥ हो प्री - ॥॥ एतो मोह रायकी चेटी , शिव संपत्ति एहथी बेटी ने, ए तो साकरतें गल पेटी॥ हो प्री० ॥३॥ एक शंका में रेमन आवी ने, किण विध ए तुम चित्त नावीने,एतो माकण जगमें चावी ॥ हो प्री० ॥४॥ सदुशदि तुमारी खाईने, करी कामण मति नरमाई, तुमें पु एय जोगें ए पाई ॥ हो प्री० ॥५॥ मत प्रांब काज बावल बोवो, अनुपम नव विस्था नवि खोवो, अब खोल नयण प्रगट जोवो॥होप्री०॥६॥णविध स मता बहु समजावे, गुण अवगुण कही सहु दरसा
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