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को मुकाम कबु बापको न गाम यह, जैबो निज धाम तातें कीजै काम यशके।खान सुलतान उमराव राव था न आन, किसन अजान जान कोक न रहि शके ॥ सां क रु बिहान चल्यो जात है जिहान तातें, हम टू निदा न महिमान दिन दशके ॥२०॥ अरब खरब महादरब नयो तो कहा, गरब न कीजै खेल सरब सुपनको। ना रको सो तेह एह छिनमें दिखावे बेह, हर्द ज्यों सरद मेह नेह पर जनकोजोबन जमक चपलाकीसी चमक चल, विषैसुख किसन धनुष किधों घनको ॥ जैसे काच नाजनको नाजनको जोखो तैसे, तनक खरोसो न नरो सो श्न तनको ॥१॥ कोरी कोरी कर कोरी लाखन क रोरी जोरी, तोउ मानै थोरी जान लीजै जग लूटके ॥ मायामें अरूज्यो पर स्वारथ न सूज्यो परमारथ न बज्यो भ्रम नारथतें बूटके ॥ जगतकों देत दगे आन जमदूत लगे, किसन जो सगे वेन नगे न्यारे फूटके ॥ हंस अंस ऐंच लियो अंग रंग नंग नयो, जैसे बीन बजत गयो है तार तूटके ॥२२॥ खेत हेत एक यामें उत्तम अधम क हा, नये पेदा नयो जब जोग मात तातको ॥ कढे सब योनि चार मढे सब चामहिते,गढे सब मातीके गढाव एक गातको ॥ कीरे सब नाजके रुधिर मांश सबनिके,
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