SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२६) नाइ मारीने पानो वलियो, थइ घोडे असवारो॥ सर्प पूबडीये खुर हेतुथी, खाधो ले तिणिवारो ॥राज०॥ ३७ ॥ मणिरथ राजा हे पडियो, मरण पाम्यो त कालो ॥ खबर नहीं को राजसनामें, कम कीधो चालो ॥ राज ॥ ३० ॥ मयणरेहातो धणीकनें आइ, दुःख धरती मनमांहि ॥ मेंतो थांने कह्यो महा राजा, मारेलो थांको ना ॥ राज० ॥ ३ए॥ मयण रेहा तो कहे धणीनें, करो संथारो सोइ ॥ चार शर ण थांने होजो स्वामी, नहीं ले किणरो कोइ ॥ रा ज० ॥४०॥ मोरा प्रीतम थाने युं डं, शीख हैयडा में धारो ॥ साहेब तुं परदेश सिधारो, ढुं नातुं बांधु लारो ॥ रा॥४१॥ मोरा प्रीतम थाने देवअरिहं तो, गुरुनिग्रंथ सुसाधु ॥धरम दया केवलीको नारख्यो, समकितने आराधो ॥ रा ॥४॥मो॥ थाने जीव मारणरों, जावजीव पञ्चरकाणो ॥ सरव प्रकारें मृषा वादमे, अदत्तदानमें जाणो ॥ रा० ॥४३॥ मो० ॥ थाने मैथुन सेवणरो, नवविध प्रगट प्रमाणो ॥ मनु ष्य अने तिर्यंच संबंधि, जावजीव पच्चरकाणो ॥ रा० ॥४४॥ मो० ॥ थाने नवविध,परिग्रहनो परिहारो॥ क्रोध मान माया लोन ए, चारेनो परिहारो ॥रा॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005370
Book TitleKanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy