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________________ (२५) कां ॥ मुहूर्त नही महेलें जावणरो, निमित्तिये वात बताइ ॥ राज ॥ २७ ॥ जुगबाहु देहेरो बाहिर कीधो, नगरीमां नहीं पायो ॥ मणिरथराजारो मर जाणीने, राणी धणीकनें जायो ॥राज॥ एम यणरेहा मित्र आप धणीनी, पर पुरुष प्रीति न जा पी॥ विरत आपणुं राखण सारु, जतन करे ने रा एणी ॥ राज ॥३०॥ मयणरेहा तो गइ सीताबा, विधियुं वात सुणा॥ जुगबादु तो मनमें जाण्यो,मा रशे मुजने जा ॥राज ॥३१॥ जुगबादुने आव्यो जाणी, मर उपनो राजा रे ॥ मणिरथ राजा करे वि मासण, उमराव ने इण सारे ॥राज ॥३२॥ जु गबादुने राणी कहेली, दगो करेलो ना ॥ साथ स मान ले इणरे घोडे,तो हुँ पहेलां मारुं जा ॥राज॥ ३३ ॥ नाइ मारण राजा रातरो चाव्यो, चढीयो एक सखाइ॥दोडीदार चाकर पालंतां,गयोधखाइन मांहि ॥राज ॥३४॥ मयणरेहा तो मनरी दाखवी, जेट ले मणिरथ आयो ॥ कहे धणीने दुयो सावधानो, मारेलो थांको नायो ॥राज॥ ३५॥ मयण रेहातो अलगी दुश्, राजा नेडो आयो॥ जुगबाहु तो साहा मो आयो, मणिरथ घाव चलायो ॥राज ॥३६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005370
Book TitleKanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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