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________________ नेस्यो जरतारने रे, सासु जूमी रांग ॥ रखे० ॥ खांहुं पीसुं जल वहुं रे, मुजने नाम नाम ॥ रखे ॥७॥ नारायण वश नारीने रे, माणसनुं शुं ज्ञान ॥ रखे ॥ अं. तसमय सहु एम कहे रे, नारीनां जून प्राण ॥ रखे ॥ ए॥ वयण सुणी नारी तणां रे, कोप्यो ते परचम ॥ रखे०॥हणवा ऊ माय तायने रे, लेई मूशल दंग ॥ रखे ॥ १०॥ माल मंदिर ए माहारां रे, एहमां नयी तुम लाग ॥ रखे ॥ काली जंटीयां मा बापनां रे, काढे ते निर्जाग ॥ रखे ॥ ११॥ एम फुःख देश तेहने रे, पामे मरण अकाल ॥ रखे०॥ मुह बागल मूकी जाय रे, विधवा वहन शाल ॥रखे ॥२॥ पेहरी नढी नविशके रे, कांइन सूजे काम ॥ रखे। लेणियायत जो आवशे रे, किहांथी देशुं दाम ॥ रखे ॥ १३॥ शं कातो निशि दिन रहे रे, ऊठी जाये परदेश ॥ रखे॥ घरनी नारी पुःख सहे रे, बाली जोबन वेश ॥ रखे। १४॥ इह नव परनव रण तणां रे, जाणी खूषण टाल ।॥ रखे। वीरमुनि त्रीजी कहे रे, फुबखडानी ढाल ॥ रखे०॥ १५॥ स०॥ ७० ॥ . . . .॥दोहा॥ .... ॥ हसे रमे मीतुं चवे, मोहे मन माय ताय गरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005369
Book TitleKarmvipak athwa Jambu Prucchano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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