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________________ (७३) चा० ॥३॥ करे रखवाली हो नवे वाडनी,सखलं पा ले शील ॥ जिम रखवाले दो वनवाडी फले,माली पा सेंलील ॥चा॥॥ ममता निवारे हो समता आदरे, न करे संनिधि संच॥ तप जप किरिया हो खप या करी करे, पाले महाव्रत पंच॥ चा०॥ ५ ॥ दूषण टालें दो लाग्युं जाणीने, मिजामुक्कड देय ॥ खाम णां खामे हो पडिक्कमणुं करे, अतिचार बालोय ॥ चा० ॥ ६॥ मित्र शत्रु सरिखा हो माने साधुजी, तृ ए मणि कंचन काय ॥रज राज्य सरिखा हो लोन र ती नही, निकलंक काचने पाच ॥ चा॥9॥ जणि गुणीद हो ते श्रुत केवली, चौदे पूरव धार ॥ तर ए तारण हो ज्ञानी गुरु नलो, नहीं प्रमाद लगार ॥ चा०॥ सद्गुरु संशय होनांजे मन तणा, तु रत उतारे पार ॥ बलिहारी जान हो एहवा साधुनी, नाम लीयां निस्तार ॥ चा० ॥ ॥ संवेगी सोनागी हो वैरागी वडो, धन्य धन्य ए अणगार ॥ महावीर स्वामी हो वहथें दाखियो, गिणती चौद हजार ॥ चा॥१०॥ साधु गुण गातां हो ही उनसे,त्रीशमी ढाल रसाल ॥बे कर जोडी हो जयरंग इंम कहें, क. रुं वंदना त्रण काल ॥ चा० ॥११॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005368
Book TitleKayvanna Shethno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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