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ऊल के हीरा लाल, मोती लड परवडी हो लाल ॥ मो ती ॥ रंग रली दिन रात, हिंचे वींद वींदणी हो लाल ॥ हिंचे ॥ चूवा चंदन चंपेल, सुवास महके घणी हो लाल ॥ सुवा ॥ ६ ॥ सकन पुरिजन लोक, सदु संतोषी या हो लाल ॥ सदु० ॥ ताजां करी पकवान, नली परें पोषीया हो लाल ॥ जली० ॥ कीयो सखरो विवाह, शोना जस महमहे हो लाल ॥ शोना० ॥ बीजी जयत सी ढाल, कही मन गह गहे हो लाज ॥ कही० ॥ ७ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ वली बजा पंमित कनें, शीखे शास्त्र उदार ॥ रहे विषय वेगलो, कयवन्नो सुकुमार ॥ १ ॥ विद्याशुं रातो रहे, मनमें नहीं विकार || देखी जयसिरि दिन घणे, सासूने कहे सार ॥ २ ॥
॥ ढाल त्रीजी ॥ राग सारंग ॥ यारी गंगीरी कस चंगी, सुगुणा सावटु मारुजी ॥ ए देशी ॥ ॥ महारो नाह नगीनो जाणे, सुगंधो केवडो ॥ सासुजी ॥ सोनागी वडनागी, नहीं को एवडो ॥ सा० ॥ ॥ १ ॥ ए पीतलीयो देव, रंगीलो साहिबो ॥ सा०॥ मुं जनुं वात न चित्त, नहीं कोइ बाहिबो ॥ सा० ॥२॥ बोले न मीग बोल, न खोले दियडलो ॥ सा० ॥ पीन
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