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(१३) देखणने काज बेटा ॥ फुःखीयाने उताव बेटा,मरण न ये महाराज बेदा ॥ घरे॥१४॥ आप कमाइ ए सही बेटा, इहां नहीं किणरो दोष बेटा ॥ पापी जीव रहे नहीं बेटा, सास दुवे तां शोष बेटा ॥ घरें ॥ ॥ १५ ॥ देव गुरु शीख माने नहीं बेटा, माने नहीं मावित्त बेटा ॥ ढाल बही कहे जयतसी बेटा, ए व्यसनीनी रीत बेटा ॥ घरें ॥ १६॥
॥दोहा॥ ॥ फररी पूरी पिंजर दूओं, बूढां पण मावित्र ॥ पण पाडो आव्यो नहीं कयवन्नो धरी प्रीत ॥१॥ मात पिता बेदु थयां, काल धरम व्यवहार ॥ कय वन्ना- नारी घरें, पाले कुल आचार ॥ २ ॥ नारी धन मूके तिहां, तिमहिज पतिने सार ॥ धन वीत्युं तब यानरण, भूके सती शणगार ॥३॥ घरेणां गांठां दे खीनें, अक्का करे विचार ॥ घर खाली दू एहनु, नहीं कमावणहार ॥४॥ करे घर बेठी कांतj, लही
आपणो प्रस्ताव ॥ विरहिणी नारीनो सही,एहिज मूल स्वनाव ॥५॥ अनुक्रमें अकायें सुणी, मरणवात मा वित्त ॥ दवे स्वारथ अण पूगते,जोजो करे कुरीत॥६॥
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