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________________ ४० जश विलास ॥ २ ॥ जरत उदाम काम वडवानल, परत सैल गिरी शृंग ॥ फिरत व्यसन बहु मगर तिमिंगल, करतड़े निमग उमंग ॥ ० ॥ ३ ॥ नमरी याके बिच जयंकर, उलटी गुलटी वाच ॥ करत प्रमाद पिशाच सहित जिहां, श्रविरति व्यंतरी नाच ॥ ० ॥ ४ ॥ गर्जत अरति फुरति रति विजुरी, होत बहोत तोफान ॥ लागतियोरकुं गुरु मलबारी, धरम जिहाज निदान ॥ ० ॥ ५ ॥ जुरई पाटे ए जिन अति जोरी, सहस अढार शीलंग ॥ धरम जिहाज तिउ सज करी चलवो, जस कहे शिवपुर चंग ॥ ० ॥ ६॥ ॥ पद बावनसुं ॥ ॥ख टलियां मुख दीठे हो मुज सुख उपनोरे, नेट्यो नेट्यो वीर जिणंदरे ॥ दवे मुज मनमंदिरमां प्रभु श्रावी वसोरे, पाजुं पामुं परमानंदरे ॥ ० ॥ ॥१॥ पीठ बंध हां कीधो समकीत वज्रनोरे, काढ्यो काढ्यो कचरो नें भ्रांतिरे ॥ हां श्रति उंचा सोहे चारित्र चंडुखारे, रूडी रूडी संवर जांतिरे ॥ ० ॥ ॥ २ ॥ कर्म विवर गोखे इहा मोति जुमकारे, जुले Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005365
Book TitleVairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1904
Total Pages164
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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