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________________ ३० शत्रुजय माहात्म्य. लाख श्रादिकनां करजथी पण, श्रहीं एक श्रादि उपवास करवाथी प्राणी मुकाय बे, तथा मोक्षसुखने देनारं सम्यक्त्व पामे . वली श्रहींनां जिनमंदिरमा प्रमार्जन, विलेपन, तथा मालारोपण करवाथी प्राणी, सो, हजार, अने लाख रुपीथानां दानथी थता फलने पामे . वली हे ! था तीर्थमा जक्तिपूर्वक गीतगान करवाथी जे पुण्य थाय , ते तो कही पण शकाय तेम नथी. वली शत्रुजयनुं नाम सांजल्याथी जे पुण्य थाय बे, तेथी क्रोडगणुं पुण्य तेनी समीप गयाथी थाय बे, तथा तेथी अनंतुं पुण्य तेने नजरे जोयाथी थाय . वली था तीर्थने जोतां अथवा न जोतां पण जे माणसो त्यां जता संघनी पूजामां तत्पर होय बे, ते मोक्षपर्यंत महा पुण्यने मेलवे . वली त्रिकरण शुद्धिथी था तीर्थमां साधुने अन्नादिक आपवाथी कार्तिक मासनां तपनु उत्तम फल मले बे. वली था शत्रुजय तीर्थमां जेउये मुनिउनी पूजा नथी करी, तेऊनो जन्म, धन, अने जीवित पण निरर्थक . वली था शत्रुजयादिक तीर्थोमां यात्रामां, अने जैनपर्वोमां जे माणसो मुनिउँने पूजे , ते त्रणे लोकनां ऐश्वर्यने जजनारा थाय . वली मुनि ने ते, पंडितोने पूजनिक, सेवनीक, अने माननीक , वली मुनिनां श्राराधनथीज यात्रा सफल थाय , अने मुनिविनानी यात्रा निष्फल जाणवी. वली वीतरागपणामां पण पूर्व जवमां सांजलेली एवी गुरुनी वणीज कारणरुप , माटे देव तत्वथी पण गुरुतत्व मोटुं जाणवू. वली सुपात्र प्रते जे दान आप, ते हमेशा महापुण्यने अर्थे थाय , तेमां पण था तीर्थमां श्रावी सुपात्र प्रते जे दान आप, ते तो सुवर्णमां सुगंधि मलवा जेवू दे. वली था तीर्थमां जे माणसो मुनिउँने, अन्न, पाणी, वस्त्र, स्थानक, श्रासन, तथा पात्रोथी पूजे, ते लक्ष्मी करीने देवोने पण जीती जाय . वली जे सुखी माणस अन्न अने वस्त्रादिकथी गुरुनु पूजन करे , ते शुद्ध थयो थको तत्वथी त्रीजे नवे मोक्ष पामे . वली जे धनथी जगतनां पूजनिक एवा मुनी जक्तिपूर्वक पूजाय , तेज धन वखाणवा लायक , तथा तेज परम तत्व, तथा तेज पुण्यनी बुधि . वली जे माणसो गुरुने साक्षीरूप करीने, जिनेश्वर प्रजुने पूजे , ते था लोक अने परलोकमां चक्री आदिकनी पदवी मेलवीने उत्तम गतिमां जाय . वली आ तीर्थमा ह: Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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