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________________ ३२६ शत्रुजय मादात्म्य. सहित हाथीपर बेसी महान उत्सवपूर्वक सामे श्राव्या, तथा तेमणे रा मचं जीना चरणोने नमस्कार कर्यो. पठी त्यां रामचंअजीए तथा लक्ष्म एजीए पण बंधुउने श्रालिंगन कर्यु, तथा त्यारबाद वृक्ष स्त्रीथी वधावात एवा ते रामचंअजीए नगरीमा प्रवेश कयों. पठी त्यां रामचंडजीए ल दमण सहित पोतानी सर्व माताउँने नमस्कार कयों, पनी जरत राजार जाणे थापणतरिके राख्यु होय नहीं, तेम ते राज्य रामचंदजीने सोंप्यु तथा पोते सेवकनी पेठे तेमनी सेवा करवा लाग्यो. पठी एक दहाडोन रत राजाए देशजूषण नामना मुनिपासेथी पोताना पूर्व नवोने सांजलीने आग्रहसहित दीदा लीधी. पनी शत्रुजय गिरिनो महिमा सांजलीने एक हजार मुनि सहित ते मार्गमां यत्नापूर्वक चालता थका त्यां जवा लाग्या पड़ी त्यां जश् श्री रुपनदेव प्रजुने नमीने, ते तीर्थनो प्रजाव अंतरम ते ध्याववा लाग्या. पठी सघलां कर्मो क्षीण थवाथी केवलज्ञान पामीने जरतमुनि ते मुनिउँसहित मोदे गया. पनी त्यां रामचंउजीए तथा स क्ष्मणजीए शत्रुजयादिक तीर्थोनो उद्धार कयों, तथा त्यां ध्वजादिक च डाव्यां. पनी अग्निप्रवेशना निदर्शनश्री सीतानो अपवाद दूर थयो, तथ त्यारबाद ते सीता पण दीदा लेश, तप तपीने अच्युतेंअरूप थश्. श्री शैल पण पोतानुं राज्य पुत्रने सोंपी, वैराग्यथी दीक्षा लेश, तथा घणे काल ते पालीने मोदे गया. पठी नाश्ना स्नेहनी परीक्षामाटे श्रावेल देवोनी वाणीथी रामना (कल्पित) मोदने सांजली, शोकशख्यथी ल दमण पण मृत्यु पाम्या. ते सांजली वैराग्ययुक्त थएला रामना लवण अने अंकुश नामना पुत्रो दीदा देश अनुक्रमे मोदे गया. पनी जटायुदेवन प्रतिबोधश्री रामचंअजीए लक्ष्मणजीनुं मृतकार्य करी, अनंगदेवने राज्य सोप्यु. तथा पठी तेमणे शत्रुघ्न सुग्रीव, तथा बिनीषण प्रमुख सोलह जार राजासहित दीक्षा लीधी. पठी नाना प्रकारना अनिग्रहवाला एव रामचंदजी महामुनि विहार करता थका कोटिशिलाप्रते जश्ने ध्यानर्थ केवलज्ञान पाम्या. पड़ी पुंडरिकगिरि श्रादिक तीर्थोमां विहार करीने तथा तेनो प्रनाव विस्तारीने, पंदर हजार वर्षोनुं आयुष्य पूर्ण करी रा मचंअजी मुनि महाराज मोदे गया. वली जरतादिक मुनि महाराजाल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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