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________________ शत्रुजय मादात्म्य. एक लाख योजननां विस्तारवालो, तथा पूर्णिमानां चंछ सरखी श्राकृतिवालो, अने लक्ष्मीथी निरूपम जंबूहीप नामे दीप जे. जे जं. बुद्धीपमा, मारी शाखापर जिननां मंदिरो बे, एवी रीतनां हर्षथीज हो. य नहीं जेम, तेम जंबूवृदनां पलवोनो समूह हमेशां नाच्या करे . ते जंबूछीपमां नरत, हैमवंत, हरिवर्ष, महाविदेह, रम्यक, तथा औरण्यवंत एम ब क्षेत्रो बे; तथा तेउमां अनुक्रमे हिमवान्, महाहिमवान्, निषध, नीलवंत, रूप्य, तथा शिखरी नामनां च पर्वतो पूर्वथी पश्चिम समुख सु. धि लंबाएला , तथा ते जिनमंदिरथी शोजी रह्यां . महाविदेह देवनां मध्य नागमां, लाख शिखरोथी शोजतो, अने पृथ्वीनां मध्य नागमा रहेलो, सुवर्णनो मेरु पर्वत बे; ते पर्वत लाख योजन ऊंचो, वननी श्रेणिउथी शोजतो, तथा शाश्वता जिनमंदिरोनां शिखरपर रहेलां चलकतां रत्नोनां किरणोथी देदीप्पमान लागे . हवे नरत क्षेत्रने श्रमो पुण्यथी जरेलुं मानीय बीयें, केम के ते देवनां माणसो उःखमकालमां पण पुण्यशाली होय बे. ते जरत देत्रमा नाश थएल ने उनीति तथा उपजव जेमांथी, अने प्रीति युक्त ने माणसो ज्यां अने सघला देशोमां मुख्य, एवो था सुराष्ट्र देश कहेवाय . था देशमां अल्प पाणीथी पण धान्य पाके , तथा थोडां पुण्यथी पण उत्तम फल मले . अने खल्प उपायथी पण कषायोनो नाश थाय . वली था देशनां पाणी निर्दोष बे, तथा पर्वतो पण पवित्र बे, अने अहींनी पृथ्वी पण हमेशां रसाल श्रने सर्व धातुमय तथा उत्तम . वली अहीं पगले पगले सर्व पापोने हरनारां तीर्थो , तथा पवित्र पाणीनां समूहवाली नदी बे, अने उत्तम प्रजाववाला हृदो बे: वली अहीं चारे कोरे विकखर पामेला सुगंधि कमलोवाला तलावो , तथा टाढा अने उना पाणीथी शोजता कुंडो. वली अहीं पगले पगले निधानो , तथा पर्वते पर्वते रसकुंपीकार्ड, महा प्रनाववाली औषधी, तथा हमेशां फलतां वृदो . वली अहीं पूर्वे जाणे वावेलुज होय नहीं तेम पोतानी मेलेज घणुं धान्य नीपजे बे, तथा ज्यांनी पवित्र माटी तीर्थस्नाननां फलने देनारी. वली अहीं श्री कृषन प्रजुनी पूजा माटे हीरा, पुखराज, सूर्यकांत मणि, मोती, तथा पानां श्रादिकनां समूहो पोतानी मेसेज उप्तन्न थाय . वली Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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