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________________ षष्टःसर्गः तेमने बीजी विद्याधरोअने राजानी पुत्रीरुप बत्रीस हजार पवित्र राणी हती. ते चतुःपर्वीमां अने विशेषे करी बापम अने चौदसे पौषधप्रत्याख्यान थादिक तप करता. ते पर्वो तेमने जीवित सरखां प्यारां हतां, अने तेथी तेनी ते जीवनी पेठे रक्षा करता. जैनधर्म धारण करनारा बालक थने स्त्री तथा वनना पशुढ पण ते दिवसे थाहार करतां नथी. __ हवे एक दहाडो सौधर्मा सनामां बेठेला इंऽ ज्ञानथी ते सूर्ययशानी धर्मपरनी दृढता जो आश्चर्य पाम्या; अने मस्तक धुणाव्यु, ते वखते जगतने वश करवामां प्रथम औषधरूप उर्वसी नामनी अप्सरा शंसने मस्तक धुणावता जोश कहेवा लागी के, हे खामी ! था वखते को कवि काव्यो बोलता नथी, तेम को गुरु मनोहर पदो पण बोलता नथी, तेम जरते कहेलु नाटिक पण रंजा करती नथी, तेम बीजा हाहा हुहु थादिक गांधर्वो पण गायनो करता नथी, तेम बीजुं पण हपने उत्पन्न करनाऊं आ समये अत्रे कंज्ञ पण कारण नथी, त्यारे श्रापे श्रानंदथी मस्तक केम धुणाव्यु ? त्यारे इंज कहेवा लाग्या के, हे उर्वशी! हमणा में पृथ्वीपर शाननो उपयोग दीधो, तो मने मालुम पड्यु के,श्रा समये श्री युगादीश प्रजुना पौत्र, अने जरत चक्रीना पुत्र, महा पराक्रमी सूर्ययशा अयोध्या नगरीमां राज्य चलावे . ते अष्टमी श्रने चतुर्दशी पर्वने दिवसे जे तप करे , ते तपथी तेने देवो पण चलावी शके तेम नथी. कदाच सूर्य पूर्व दिशा तजीने पश्चिममां उगे, अथवा पवनथी मेरु कंपायमान थाय, अथवा समुष मर्यादा मुके, अथवा कपवृक्ष निष्फल थाय, तो पण पोताना प्राण जतां सुधी पण ते जिननी थाझाने अने तेपरनां पोतानां निश्चयने तजे तेम नथी. ते सांजली पोतानां खामिने प्रत्युत्तर देवाने अशक्त होवाथी, मनमां जरा हसीने विचारवा लागी के, अहो ! था खामीपणुं केवु ? के था इंऽ मनुष्यमां पण थाईं निश्चयपणुं कहे . सात धातुऊनां शरीरवालो, अन्नपर श्राजिविका चलावनारो एवो मनुष्य देवधी पण चलायमान न थाय, तेवी वातनी श्रद्धा पण कोने थाय ? वली मारा गायन रूपी रसथी कया मापसना विवेक श्रादिक गुणो रजना कणीश्राऊनी पेठे दबाजतां नथी? माटे हवे पर्वतपरथी नदी जेम खडकने तेम ते सूर्ययशाने व्रतथी च Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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