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________________ शत्रुजय माहात्म्य. सूर्यसरखो, तथा कर्मरूपी हाथीने मारवामां सिंहसरखो सनातन संघ जयवंतो वर्तो ? जेणे फल, तांबुल, वस्त्र, जोजन, चंदन तथा पुष्पोथी श्री संपनी सेवा करी , तेने सर्व उत्तम फल मव्युं . एवी रीते हे चक्री! जैन राज्यमा रहेलां था साते क्षेत्रो हमेशां फलदायक बे; अने तेमां वावेलुं धनरूपी बीज विघ्नरहित उदय पामे बे. एवी रीते मुनिना वचनरूपी अमृतने पीपीने पण जाणे अतृप्त थया होय नहीं, तेम मनमा आश्चर्य थश्ने ते चक्री मस्तक धुणाववा लाग्या. पनी गुरुनां चरणोने तथा बीजा मुनिउँने पण नमस्कार करीने, मुनिनी वाणीनुं स्मरण करता थका चक्री पोताने स्थानके श्राव्या. त्यां तेमणे अत्यंत रसवाली षट रसनी रसवती जमीने, आनंदित थ दणवार उत्तम नासन पर निखा करी. पनी चक्री सोमयशा, शक्तिसिंह, तथा सुषेण श्रादिकथी वीटाया थका इंजना आवासे श्राव्या. ते वखते इंउ पण पोतानां श्रावास प्रते चक्रीने श्रावता जोश्ने श्रानंद पामतो थको पोतानां श्रासनथी उठ्यो. पड़ी महोदयवाला तेउँ बन्ने एक आसनपर बेठा थका अत्यंत शोजवा लाग्या. पनी त्यां परस्पर केटलीक कथा कर्या बाद, चक्री. ने कहेवा लाग्या के, हे चक्री! श्री युगादीश प्रजु अमारे पूजवा योग्य बे, केम के, अमो तेउनां चाकरो बीयें; अने तमो तेमना चरमशरीरी पुत्र बो; वली तमो संघपति तथा तीर्थनो उकार करनारा बो, तेथी स. र्वथा प्रकारे पूजनिक डो; वली तमोए करेली आ पूजानां अनुवर्तनथी लोको पण तेम करशे; तेम वली जो हुँ तेम करीश, तो वली विशेषथी तेनुं अनुकरण थशे; पड़ी चक्रीए पण तेम करवू अंगीकार कर्याथी इंजे देवो सहित विधिपूर्वक कुसुमादिकथी पूजा करी; अरिहंत प्रजुनी थाशिषथी, विविध प्रकारनां व्योवाला पुष्पनी माला हर्षथी तेणे पोतानां कंठमां स्थापन करी. पनी देवोसहित वीरसमुझे जश्त्यांथी कलशोमां उत्सवसहित जल नरी, पाठा श्रावी तीर्थंकरनां चरणोनुं तेणे हर्षथी स्नात्र कर्यु; तथा त्यां सुपात्रोने दान थाप्यु. ते दिवसथी लोकोमा ते म. हान इंसोत्सव प्रसिद्ध थयो, केम के, जेम महान पुरुषो वर्ते , तेम लोको पण ते करे . एवी रीते जरत चक्रीए, तथा इंजे पूजा करी, त्यारथी, विविधोदयवाली बहुविध जिनपूजा प्रचलित थश्. पड़ी इंजनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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