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शत्रुजयमाहात्म्य. अंतरंग शत्रु ने हण्या; वली पुत्रपर बहु प्रेमवालांज होय नहीं जेम, तेम ते पोतानां पुत्रने थनारूं सुख जोवा माटे प्रथमथीज मोदमां गयां. वली हे माता ! जगतमां नूषण समान, योगीश्वरी, तथा समस्त जावोने जाणनारां एवां जो तमोन होत,तो आ युगादीश प्रजु,जगत, बोधिलाज, ज्ञान, मोद, तथा (अंतरंग) वैरीनो नाश क्याथी होत ? वली हे माता! थापनां चरणोनां नखोनां संगथी माझं निबिड अज्ञानरूपी सर्व अंधकार नाश पामो ? वली श्राप जगतनां प्रथम गुरुना कारणरूप बो, तेथी हुं श्रापनी स्तुति करुं हुं, तथा आपने नमुं बुं, अने चिंतबुं बुं. जगतनां इश्वरनी माता, योगिनी तथा जगतनी इश्वरी, अने देवोथी पण सेवाएलां एवां मरुदेवी माता माराप्रते मंगल करो? एवी रीते मरुदेवी मातानी स्तुति करीने चक्री ब्राह्मीनी मूर्तिने पूजीने तेनी स्तुति करवा लाग्या के, जे सर्व विश्वनी स्थितिरूप दे, तथा योगिउने पण ध्यान ध. रवा लायक डे, नवजयने हरनारी , माणसोने तारनारी बे, दिव्य शक्तिवाली , मनुष्य श्रने देवोथी पूजाएली , तथा जे मंत्ररूप वरूपवाली बे, एवी युगादीश प्रजुनी पुत्री श्री ब्राह्मी माता मने सुख श्रापो? वली डोलरसरखी निर्मल एवी जे ब्राह्मी माताने, उत्कृष्ट समाधिमां र. देला योगी पोतानां हृदयकमलमां धारण करीने स्मरण करता थका पा. पोनां समूहने तजीने परम तत्व जाणे , एवी निर्मल शीलने धरनारी ते ब्राह्मी माताने हुं नमस्कार करुं बु. सुर, असुर अने मनुष्योने जाणवालायक, तथा श्री युगादीश प्रजुनी पुत्री, अने ब्रह्म शब्दने उत्पन्न करनारी ते ब्राह्मी माता विनोनी शांतिमाटे था ? एवी रीते तेमनी स्तुति करीने, तथा तेमने नमीने, चक्री सुंदरीनां चैत्यमा जश्, तेने पू. जीने स्तुति करवा लाग्या के, हे सुंदरी बेहेन ! तमो आ पृथ्वीनां नू. षणरूप लक्ष्मी बो, तथा शुज लक्षणवालाप्रते तमो नित्यरूपे बो, वली तमारे माटे प्रायें करीने श्रा जगत तपो करे , तथा तमोने माने बे; वली था जगतमां कांकरा, तथा हाडकारूप पदार्थों पण जे रत्न श्रने शंखरूप थाय बे, ते तमारी दृष्टिनां प्रजावथी थाय . वली हे जगवती! नीच वंशमां उत्पन्न थएलो माणस पण श्रापनां श्राश्रयथी कुलीन श्रने पंडितोने पण सेवनीक थाय ने. वली हे देवी! तमारा प्रसादथी श्रा
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