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________________ १६६ शत्रुंजय मादात्म्य. विना प्राणी जवसागरने तरी शकता नथी. वली श्रा तीर्थमां अत्यंत गुणवालुं तथा मोक्षसुख श्रापनारुं तथा सर्व दुःख हरनारुं शील त्रिकरशुद्धिथी पालकुं. पोतानुं श्रहित छनारा एवा जे माणसे या तीर्थमां शीलभंग कर्यु बे; तेनी क्यांए पण सिद्धि याय नहीं; तथा ते चांडालथी पण वधारे निंदनीक बे. वली या तीर्थमां तप करवाथी निकाचित कर्मों, तथा जन्मसुधिनुं पाप पण नाश पामे बे. वली ने अहमश्रा - दिक तपथी उत्तम फल मले बे; माटे सर्व इति आपनारो ते तप यहीं विशेष करीने करवो. वली अहीं श्रानो तप करवायी कर्मोंनो नाश क प्राणी स्वर्ग ने मोक्षनां सुख क्षणवारमां मेलवे बे. वली अहीं चैत्री पुनेमनो उपवास करवाथी सुवर्णनो चोर, तथा शुभ जावथी सात बेल करवायी वस्त्रनो चोर शुद्ध थाय बे. रत्ननी चोरी करनारो छाहीं अत्यंत उत्तम जावी दान देतो थको, कार्तिक मासनां सात दिवसनां तपथी शुद्ध थाय बे. वली रुपुं, कांसुं, त्रांबुं तथा पित्तलनी चोरी करनारो, ते पापथी अहीं सात दहाडा सुधी परमार्थ नामनो पृथक रीते तप करवाथी मुक्त याय बे. वली मोती तथा परवालांनो चोर, अहीं त्रिकाल | जन पूजाथी, तथा पंदर थांबेलोथी निर्मल थाय बे. वली धान्य तथा जलनो चोर यहीं सुपात्रे दान दीधाथी, तथा रसनो चोर महादानी शुद्ध थाय बे. वली वस्त्र ने श्राभूषणनो चोर यहीं जिनपूजन करवाथी पोतानां श्रात्मानो खाडा सरखा जवमांथी उद्धार करनारो थाय बे. वली देवद्रव्य तथा गुरुद्रव्यने चोरनारो माणस यहीं जिनपूजनयी शुद्ध थाय बे; तथा ध्यान अने सुपात्रे दान देवाथी ते अंतरंग शत्रुनो नाश करनारो थाय बे. वली जे माणसे कुमारिका, दीक्षित स्त्री, वटलेली, सधवा, विधवा, तथा गुरुस्त्री साथे गमन कर्यु होय, ते माणस पण मनने रोधीने जिननुं ध्यान धरतो थको वहीं जो उ माससुधी तप करे, तो शुद्ध थाय बे. वली गाय, जेंस, घोडा, हाथी, पृथ्वी तथा घरनो चोर, श्रने मंत्र तंत्र देनारो पण अहीं नक्तिथी जि ननुं ध्यान धरवायी शुद्ध थाय बे. वली अन्यनां चैत्य, घर, बगीचा, पुस्तक तथा प्रतिमादिक उपर जे दुष्ट बुद्धि " श्र मारुं बे" एम धारी पोतानुं नाम नाखे बे, ते माणस पण अहीं सामायिकथी पवित्र थइ ब Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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