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________________ ११० शत्रुजय मादात्म्य. चक्रीने आपी. पनी चक्रीए तेमने रजा आपवाथी, तेए पोतानां पुत्रोने राज्य सोंपी संसारथी विरक्त थर, श्री शषजदेव प्रजुनी पासे व्रत लीधुं. पळी चक्री चक्रनी पाउल चालता थका गंगाने किनारे पहोंच्या, अने त्यां तेमणे नहीं अति दूर, तेम नहीं श्रति नजदीक लश्करनो पडाव नाख्यो. त्यां पण सुषेण सेनापति चक्रीनी श्राज्ञाथी सिंधुनी पेठे गंगा नदी उतरीने; तथा उत्तर निष्कुट साधीने पाडो श्राव्यो. त्यां अहम तपथी सिक थएली गंगा देवीए चक्रीने बे सुवर्णनां सिंहासनो, एक हजारने श्राप रत्नोनां कुंनो, हार, बाजुबंध, मुकुट, रत्नशय्या, दीव्य वस्त्रो तथा दीव्य पुष्पो थाप्यां. पठी लावण्यनां मनोहर सुंदरपणाश्री चाकररूप करेल जे कामदेवने जेणे, एवा ते चक्रीने जोश्ने, तेनी साथे विलास करवानी श्वाथी ते मनमां चिंतववा लागी के, शुं श्रा ? के चंड ने ? के कुबेर ? के सूर्य बे ? अथवा देवोनुं ते श्रावू रूप क्याथी होय? था तो जगतनां स्वामी श्री युगादिप्रजुनां पुत्र जरत बे, केम के, रत्नाकर विनां श्रा, रत्न बीजी जगोए कंई उत्पन्न थतुं नथी. एवी रीते कामदेवनां बाणथी व्यग्र थश्ने ते कटादो मारवा लागी, तथा नरतनी प्रार्थना करवा लागी, तेथी जरते तेणीने रतिवेश्ममा दाखल करी. पनी त्यां तेणीनी साथे विविध प्रकारनां लोगो जोगवतां थकां चक्रीए एक दिवसनी पेठे एक हजार वर्षों निर्गमन काँ. हवे एक दहाडो इंज जेम देवो सहित सुधर्मा सनाने, तेम जरत राजा राजा सहित पोतानी सनाने शोजावता हता. एटलामां मूर्तिवंत चंजसूर्य सरखा सौम्य कांतिवाला बे चारणमुनि श्राकाशमांथी उता. ते वखते नरत चक्रीए संज्रम सहित उठीने नक्ति पूर्वक सादात विवेक अने विनय सरखा ते मुनिने नमस्कार कर्यो. पड़ी तेमने सिंहासनपर बेसाडीने, चक्री हाथ जोडीने तेनी सन्मुख बेग. पड़ी श्री युगादीश प्रजुना पुत्रने ते नवमां मोक्षगामी जाणीने ते मुनि गंजीर वाणीथी तेने कहेवा लाग्या के, मैत्रीचतुष्क, अष्टांग योगनो अन्यास, उपसगोंर्नु सहनपणुं, थार्जवता, कषाय, विषय अने श्रारंजोनो परिहार, अप्रमादीपणुं, प्रसन्नपणुं, कोमसता, तथा समता एटला मोदनां मार्गों . पडी ते देशनाने अंते रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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