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हमखातों में से पाठों की पसंक्मी का प्रश्न । १४. पवेदितं, पवेतितं, पवेतियं, पवेदियं, पवेइयं पवेदितं १५. लोगस्सिं, लोकंसि, लोगंसि, लोयंसि, लोकम्मि, लोकंसि या लोगंमि, लोयंमि
लोकस्सिं (लोकंसि से लोकस्सिं प्राचीन रूप है) १६. अधा, अहा, जधा, जहा
अधा १७. खेत्तन्न, खेतन्न, खेदन, खेयन्न, खेअन्न,
खेत्तण्ण, खित्तण्ण, खेतण्ण, खेदण्ण, खेयन्न,
खेयण्ण, खेअण्ण १८. चुते, चुतो, चुए, चुए
चुते १९. विदित्तु, विइत्तु
विदित्तु २०. सहसम्मुतिया, सहसम्मुतियाए, सहसम्मुदियाए, सहसम्मुइए, सहसम्मइयाए
सहसम्मुतिया
खेत्तन्न
निम्न दो-दो रूपो में से प्रथम रूप ही प्राचीन है और उसे ही नये सम्पादन में चुना जाना चाहिए।
क
ख ग ज
ध्वनि परिवर्तन = अंधकार, अंधयार; अधिकरणं, अहिगरणं; लोकंसि, लोगंसि; कम्मकराणं,
कम्मगराणं; = दुकखेण, दुहेण = भोगे, भोए = परिजणं, परियणं; अविजाणए, अवियाणए; अविजाणतो, अवियाणओ;
एजस्स, एयस्स . = आतुर, आउरे; रोगसमुप्पाता, रोगसमुप्पाया; आगतो, आगओ; धुतमोहा, धुयमोहा; कप्पति, कप्पइ; सोतं, सोयं; भूताणि, भूयाइं; जातिपधं, जाइपहं
चुते, चुओ; अविजाणतो, अवियाणओ; दिसातो, दिसाओ; कुवति, कुन्वइ = पव्वथिए, पवहिए; जातिपधं, जाइपह; आवकधा, आवकहा = धम्मपदाणि, धम्मपयाई; पदे पदे, पए पए; जवोदणं, जवोयणं; समुच्छेदंति, समुच्छेयंति; परिवंदण, परियंदण; परिवंदति, परिवयंति
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