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एवं जोवामां आवे छे, के ऐतिहासिक कालमां पण छेवट कोई पण मनुष्यजाति धर्मविहीन हती एम देखातुं नथी तेथी धर्मनुं कनिष्ठ स्वरूप ठराव एटकुंज काम प्रथम बाकी रहे छे. ए काम प्रथम प्रो० मॅटेट नामना अंग्रेज विद्वाने घणीज सारी रीते करी मुकेलुं छे. आ पण्डितना मतथी कनिष्ठ धर्मनुं स्वरूप आस्ट्रेलियादेशमांना सहआतना लोकोना टॅबू अने मान ए शब्दोमां दृष्टिगोचर थाय छे. आ बे शब्दोना निषेध अने स्फूर्ति एवा अनुक्रमे अथ होईने पेहला उपरथी धार्मिकबन्धनोनो अने बीजा उपरथी दैविकशक्ति अने इन्द्रजालविद्यानो बोध थाय छे.
आ प्रमाणे धर्मकल्पनानुं कनिष्ठ स्वरूप समजाया पछी तेनो ( धर्मनो) उच्चतम स्वरूप ठराववानो बाकी रहे छे अने ते काम बहुज कठीन छे. केमके पोत पोताने ' अत्युच्च ' एवं समजनारा अनेक धर्मो हाल विद्यमान छे, पण धर्म कल्पनानुं उच्चपणुं अगर उदात्तपणं, ए बेनो धर्मनी उच्चतम मर्यादानी साथै कई पण संबन्ध नथी. तेथी करीने खरेखर कयो धर्म अत्युच्च छे ए ठरावखं जो के सर्वथा अशक्य नथी तो पण बहु कठिन छे ए वात खरी छे.. मारो पोतानो मत तो एवो छे के मनुष्यप्राणीनी सामान्य
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