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(६५). लाग्यो. परन्तु धौद्धप्रन्योमा वेना संबन्धमां एवी नोंध मळी आने छे के ते नन्द वच्छ अने किस संकिचनो उत्तराधिकारी हतो. अने, तेनो संप्रदाय साधुवर्गमा चिरस्थापित ( लांबा वखत पूर्वे स्थापित थएलो एवो) मनातो होई अचेलक परिव्राजकना नामे प्रसिद्ध हतो. जैनोनी ए हकीकत के महावीर अने गोसाल ए बोए केटलाक वखत सुधी साथे तपश्चर्या करी हती, तेमा शंका करवानुं कोई कारण नथी. परन्तु तेओ बन्ने बच्चे जे संबंध बताववामां आवे छे ते वास्तवमां तेनाथी जूदा प्रकारनो होय तेम लागे छे, मारूं एवं मानवु छे, अने मारा आ अभिप्रायना पक्षमा हुँ हमणांज केटलीक दलीलो आपीश-के महावीर अने गोसाल ए बन्ने पोताना संप्रदायोने एक करवाना अने एकने बीजामा मेळवी देवाना इरादाथी परस्पर सहचारी बन्या हता, अने लांबा बखत सुधी आ बन्ने आचार्यो साथे रह्या हता. ए बाबत उपरथी चोकस अनुमान थाय छे के ते बन्नेना मतोनी बच्चे केटलुक साम्य होवून जोईए. आगळ पृ. २६ उपरनी टीपमां में जणाव्युं छे के 'सब्बे सत्ता, सव्वे पाणा, सव्वे भूता, सव्वे जीवा ' ना स्वरूपर्नु वर्णन गोसाल तेमज जैनोनी वच्चे समान छे. अने टीकामां जणावेल एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रियादि वर्गरूपे प्राणिओना विभागो के जे जैनग्रन्योमा घणाज साधारण छे, तेवा विभागोनो गोसाले
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