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(४८) बौद्धोनी एक बीजी पण अर्थपूर्ण भूल तरफ वाचकनु ध्यान खेंचवा मांगुं छु. बौद्धो नातपुत्तने अग्गिवेसन अर्थात् अग्निवैश्यायन कहे छे परन्तु जैनोना मतानुसार ते काश्यप हता; अने पोताना तीर्थकरो संबंधि आवी बाबतोमां जैनोनुंज कहेg विश्वासपात्र मानवं जोईए. वळी महावीरनो एक मुख्यशिष्य जे सुवर्मा नासे हतो अने जेने सूत्रोमां महावीरना धर्मना मुख्य उपदेशक तरीके बतावेलो छे ते पोते अग्निवैश्यायन हतो; अने तेणे जैनधर्मनो प्रसार करवामां मुख्य भाग भजवेलो होवाथी बहारना बीजा माणसो शिष्यने गुरु समजी लेवानी भूल करी होय अने तेथी करीने शिष्य गोत्र गुरुने लगाडी देवामां आव्युं होय ते वगं संभक्ति छे. आ रीतनी बौद्धोए करेली बेवडी भूल महावीरनी पूर्व पार्श्वनामना तीर्थकरनी तथा महावीरना मुख्य शिष्य सुधर्मानी हयातीनी साक्षी आपे छे.
पार्श्व ए ऐतिहासिक पुरुष हता ते वात तो वधी रीते संभावित लागे छे. केशी' के जे महावीरना समयमा पार्श्वना संप्रदायनो एक नेता होय तेम देखाय छे, तेनो तथा अन्य पण तेवा अनुया
१ राजप्रश्नीमां केशीगणधरने राजा पएसी साथे संवाद थयो हतो अने त्यार बाद राजाने तेणे पोतानो धर्मानुयायी बनाव्यो हतो.
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