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साधु ने त्यागना सूत्रो बोलवां पडे छे तेम तेने बोलवां पडतां नथी. आ उपरथी एम जणाय छे के कां तो बौद्धोनुं आ वर्णन मूलभरेलुं अगर असत्यमूलक होय अने कां तो जैनोए पोताना नियमोमां कांइक शिथिलता दाखल करी होय.
दीघनिकाय १, २, ३८ ( ब्रह्मजालसूत्र ) मां आवता निगण्ठविषयक उल्लेख उपरनी पोतानी टीकामां एक ठेकाणे बुद्धघोष लखे छे के - ' निगण्ठो आत्मा वर्णरहित छे एम माने छे; अने आजीविको आत्माना वर्णनी अनुसार समस्त मानवजातिना ६ विभागो पाडे छे. परन्तु मृत्यु पछी पण आत्मानुं अस्तित्व धरावे छे अने ते बधा रोगोथी मुक्त ( अरोगो) होय छे, ए बाबतमां निगण्ठो अने आजीविको बन्ने समानमतवाळा छे.' छेवटना शब्दोनो अर्थ गमे तेम हो, परन्तु तेनी उपरनुं वर्णन तो आ पुस्तकना पृ. १७२ उपर आपेला जैनोना आत्मस्वरूपना वर्णन साथै बराबर मळतुं आवे छे. एक बीजा फकरामां (I. C. P. 168 ) बुद्धघोष जणावे छे के -निगंठ नातपुत्त थंड पाणीने सचेतन माने छे ( सो फिर सीतोदके सत्त सञ्जी होति ) अने तेथी ते तेनो उपयोग करता नथी. जैनोनुं आ मंतव्य अत्यंत प्रसिद्ध होवाथी तेनी साबिति आपवा माटे सूत्रो
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