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(३५) आचारोना विषयमा जेटलां प्रमाणो जडी आवे ते बघांनो उहापोह करवो जोईए. ___ अंगुत्तरनिकाय ३,७४ मां वैशालीना लिच्छविओमांनो अभय नामे विद्वान् राजकुमार निग्गन्ठोना केटलाक सिद्धांतोतुं नीचे प्रमाणे वर्णन करे छे:--" भदन्त ! निगन्ठ नातपुत्त जे सर्वज्ञ अने सर्वदर्शी छे, जे संपूर्ण ज्ञान अने दर्शनथी संपन्न होवानो ( आ आगळ जणावेला शब्दोमां ) दावो करे छे के “ चालतां, उठतां, ऊंघतां अने जागतां हुं सर्वज्ञ अने सर्वदर्शी छ." ते जुना कर्मोनो तपस्यावडे नाश थवानुं प्ररूपे छे अने संवरद्वारा नवां कर्मोने रोकवानो उपदेश आपे छे. ज्यारे कर्मनो क्षय थाय
१४ आ नामना, स्पष्टरीते बे पुरुषो मळी आवे छे. बीजो अभय श्रेणिकनो पुत्र हतो अने जैनोनो सहायक हतो. तेनो जैनोना सूत्रो तेमज कथाओमा उल्लेख थएलो छे. मज्झिमनिकायना ५ मा (अभयकुमार) सुत्तमां एवं वर्णन छे के निगण्ठ नातपुत्ते तेने बुद्धनी साथे वाद करवा मोकल्यो हतो. प्रश्न एवो चालाकी भरेलो तैयार करवामां आव्यो हतो के बुद्ध तेनो गमे तेवा हकार अगर नकारमा जवाव आपे पण ते स्वावरोधवाळा न्यायशास्त्रप्रसिद्ध दोषमां सपडाया विना रहेज नहीं. परंतु आ युक्ति सफल थई नहीं अने परिणाम तेथी ठलटुं ए आव्युं के अभय बुद्धा- . नुयायी थई गयो. आ वर्णनमां नातपुत्तना सिद्धांत उपर प्रकाश पाडे एवं कांई तत्त्व नथी.
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