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सूचिपत्रमा संपूर्ण जैनसाहित्यनुं साधारण अवलोकन कर्तुं छे. तेमज तेमणे जैनसूत्रो उपर एक अतिविद्वत्तापूर्ण मोटो निबंध पण प्रकट कर्यो छे'. प्रो. ल्युमने वळी जैनवाजन्य अने शास्त्रना विकाशं सारु अध्ययन कर्यु छे, तथा केटलीक जैनकथाओ अने तेना ब्राह्मण अने बौद्धकथाओ साथेना संबन्धनी तपासणी पण करी छे". श्वेताम्बर संप्रदायना जुना इतिहासनी माहिती आपनारो एक महत्वनो ग्रन्थ में पण संपादित कर्यो छे, तथा तेमना केटलाक गच्छोनो इतिहास होर्नल अने क्लाद्वारा जाहिरमां आव्यो छे. आमांनो छेल्लो विद्वान् ( क्लाट ) जे अत्यारे आपणी वच्चे मौजूद नथी, तेणे सघळा जैनलेखको अने औतिहासिक
३ बर्लिन १८८८ अने १८९२.
४ Indische Studion पु. १६, पृ. २११ आदि. इ. ए. मां अनुवाद तथा जुदा पुस्तकरूपे, मुंबई १८९३.
Actes du VI Congres International des Orientalistes, section Arienne पृ. ४५९ तथा Wienerzeitschrift fur die Kunde des Morgenlandes पु. ५ अने ६, वळी जर्नल आफ थी जर्मन ओरिएन्टल सोसायटी पु. ४८.
६ हेमचंद्राचार्यरचित परिशिष्टपर्व, कलकत्ता.
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