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हता. तेथी पण ए घणुंज संभवित छे के महावीरने पोताना प्रतिपक्षिओना अभिप्रायोनुं मजबुत रीते खंडन करवुं पड्युं हशे ; अने जाते स्वीकारेला अगर सुधारेला एवा पोताना सिद्धांतोनुं घणुंज समर्थन करवुं पड्युं हशे . आम कहेवानुं कारण ए छे के प्रत्येक धर्मसंस्थापकने यथार्थमा पोताना नवा सिद्धांतोनुं प्रतिपादन करवा पूरतोज प्रयत्न करवानी आवश्यकता रहे छे. तेने एक सुधारकना जेटलो प्रवादी बनी जवाना जोखमने उपाडवानी आवश्यकता रहेती नथी. हवे वखत जतां ज्यारे महावीरना ते प्रतिस्पर्धिओ आ जगत्मांथी अदृश्य थई गया हता, तथा तेओद्वारा स्थापित थरला संप्रदायो पण नामशेष थई गया हता त्यारे महावीरना ए प्रवादो, के जे तेमना गणधरो स्मरणमा राख्या हता तथा तेओद्वारा पाछलनी शिष्यपरंपराने पण जे सोंपवामां आव्या हता, ते पाछळना लोकोमां महत्ववाळा न मनाया होय ए स्वाभाविक छे. ए कोण कही शके एम छे के जे एक जमानामां आ प्रकारना दार्शनिकोना तत्त्वज्ञानविषयक विविध प्रवादो अने कलहो व्यावहारिक उपयोगितावाळा जाया होय तेज प्रवादो अने कलहो, सर्वथा परिवर्तित थएला एवा अन्यजमानामां पण तेवा ज उपयोगी सिद्धांतो तरीके -मनाई शके ? आज विचारानुसार नवा जमानाना जैनसमाजने श्रोतानी सामयिकपरिस्थितिने अनुकूल आवे तेवा एक नवा
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