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प्रमाणे छे-- चौद पूर्वी ए दृष्टिवादनामना बारमा अंगमां समाएलां हतां अने ते महावीर निर्वाण पछी १००० वर्ष व्यतीत थया पहेलां नष्ट थयां हतां. जो के आ कथन प्रमाणे चौद पूर्वो तो सर्वथा नष्ट थई गयां छे तोपण दृष्टिवाद अने तेमां अन्तर्गत थलां चौद पूर्वोना विषयोनी विस्तृतसूचि अद्यावधि समवायांगनामना चोथा अंगमां तथा नन्दीसूत्रमां आपेली जोवामां आवे छे.' आ दृष्टिवादमां आवेलां पूर्वो ते खास मल पूर्वोज हतां के जेम हुं मानुं छं तेना साररूप हतां, तेनो आपणे निश्चय करी शकता नथी. गमे तेम हो परन्तु तेमां समाएला विषयोना संबंधमां एक घणी विस्तृतपरंपरा तो अवश्य जोवामां आवे छे. खरेखर आपणे कोई पण नष्ट थई गएला एवा अतिप्राचीन ग्रन्थ या ग्रन्यसमूहना विषयमां मळी आवती परंपराने साची मानी लेवामां वणीज सावधानी राखवानी जरूर छे. कारणके आवा प्रकारनी प्राचीन परंपरा, घणीक वखते केटलाक ग्रन्थकारोद्वारा पोताना सिद्धांतोनी प्रमाणीकताना पुरावा रूपे कल्पी काढवामां आवी होय है. परन्तु प्रस्तुत बाबतमां, पूर्वोना विषयमां मळी आवती आटली बधी सामान्य अने प्राचीन परंपरानी सत्यताना विषयमां शंका करवाने आप
१ See Weber, Indische Studien, XVI p. 341.
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