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पुस्तकोनो उपयोग करता नयी छतां पण तेमनी पासे तेवां पुस्तको तो जरूर जोवामां आवे छे. तेओ ( ब्राह्मणो ) आ पुस्तकोने खानगी उपयोग माटे एटले के गुरुनी स्मरणशक्तिने मदत करवा माटे राखे छे. मारूं दृढ मानवुं छे के जैनो पण आज पद्धतिने अनुसरता हशे वल्के ते ओ (जैनो) ब्राह्मगोथी पण वधारे आ पद्धतिनुं अनुकरण करता हो, केमके ब्राह्मगोनी माफक तेओनुं एवं मानवं तो हतुं ज नहीं के लिखित पुस्तको अविश्वस्य छे. तेओ तो मात्र जे एक प्रचलित रिवाज हतो, के आगमनुं ज्ञान मौखिक -
तेज एक पेढी द्वारा बीजी पेढीनें अपावुं जोईए. तेने लई - नेज लिखित ग्रन्थोनो विशेष उपयोग करवामां संकोचाता हता. हुं अहीं एम प्रतिपादन करवा इच्छतो नथी के जैनोना पवित्र आगमो असली ज छुटा छवाया पण आवी रीते पुस्तकोमां लखेलाज हता. अने एम न कहेवानुं खास कारण बीजूं कांई नहीं परन्तु बौद्ध भिक्षुओ पासे लिखितपुस्तको न हतां एम जे कहेवाय छे तेज छे. बौद्ध भिक्षुओ पासे आवा पुस्तकौ नहतां तेना प्रमाण तरीके एवं कहेवामां आवे छे के तेमना सूत्रोमां, ज्यारे प्रत्येक जंगमवस्तुथी लईने नानामां नानी अने क्षुद्रमां क्षुद्र एवी घरमा वापरखा लायक वासणो जेवी चीजोनो पण कोईनें
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