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( १४४) .. आ ठेकाणे-पृ. ११३ मां श्रीसिद्धसेनसूरिजीना लथा पृ. ११४ मां जणावेल महाकवि धनपाल पंडितना काव्यनी सत्यतानो ख्याल करो. तेमणे का हतुं के “ परमतना शास्त्रोमां जे जे प्रमाणभृत वचनो जोवामां आवे छे ते बघांए बचनो हे जिनदेव ! तमारा ज्ञान समुद्रमांयी उडी उडीने बहार पडेलां वचन बिन्दुओज छे अने तेथीज ते शोभाने पात्र थयां छे. " अहियां विशेष एज छ के-जैनोना प्रबल उदयकाल पेहलां-वैदिकमागमां अने ब्राह्मणधर्ममां केवल जीवोना उपर कतल चालती होवाथी धर्ममार्गनो कहो के परम ब्रह्ममार्गनो कहो तेनो तो लोपज थईने रहेलो हतो. एम आ बधा पंडितोना तरफथी निकलेला वचनोना उद्वारोज आपणने सूचवी आपे छे. आ बधा वचनोना उदारो छे ते पण सामान्य पुरुषोना नथी पण महान महान् पंडितोना छे. अने पोते वेद धर्मना पण पूरेपूरा आग्रही होवा छतां पण सत्यने सत्यपणे केह, पडयूं हशे.
सज्जनो ? विचार करो के जैनोना तत्त्वज्ञानमा केटली बधी गहनता रही हशे.
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