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(६०) ५ कैवल्यज्ञान, जैनोना ग्रन्थकारो जुदा जुदा साधुओनां चरित्र आपती वखते ए परिभाषानो उपयोग करे छे. एवा प्रकारर्नु साम्य दर्शवनारुं वर्णन बौद्धअध्यात्मग्रन्थोमां कई पण देखातुं नथी. जैनोना केटलाक मतो बौद्धोनी साथे मळता नथी ते पैकी केटलाकोनु उपर विवेचन कर्यु छे. हवे जैन अने बौद्ध ए बन्नेना जे मतो ब्राह्मणदर्शनकारोनी साथे मळे छे तेनुं निदर्शन करिशं. १ पुनर्जन्म, २ पूर्वजन्ममां करेला सारा खोटा कृत्यो प्रमाणे आ जन्ममां फलप्राप्ति थवी. ३ तेमन यथार्थज्ञानथी अने सद्धर्तनथी पुनर्जन्म अने मरण एनी यातनाओमाथी मुक्त थई शकवू. ४ धर्मनी ग्लानि थई एटले अवतार थई धर्मस्थापना थवी विगेरे जेम जैनो अने बौद्धो माने छे ते प्रमाणेन ब्राह्मणोमां पण मानेलं छे. जे प्रमाणे अनेक वखते असुरोए वेद चोर्यो अने विष्णुए मत्स्यादि अवतार धारण करीने तेओनो उद्धार को एम ब्राह्मणो माने छे. तेज प्रमाणे प्राचीनकालमां थई गएला जैन... X मुक्तात्मा तो फरीथी जन्म धारण करेज नहीं परन्तु बीजा बीजा जीवो अनेक जन्मोमां सुकृतनो संचय करी तेवा पदनी योग्यता मेळवी एक कालचक्रमा मात्र २४ तीर्थकरज थाय छे अने ते तत्त्वज्ञानने पुनः प्रकट करे छे. पण एकज व्यक्ति फरी फीथी अवतार धारण करीने धर्मनी ग्लानि थती मटाडे एम जैनोनुं मन्तव्य नथी.
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