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संन्यास लीधा पछी वेदपठन बंध करेलु जोयुं तेनो अथ ते निरुपयोगी अने अप्रमाण छे एटला माटेज ब्राह्मणसंन्यासिओए छोडी दीधो एवं ब्राह्मणेतर लोकोए लोकोमा फेलाव्यु. एवी दृष्टिथी नोतां जैन अने बौद्ध एमना जेवा जुदा जुदा पन्थो उत्पन्न थवानुं मूल चतुर्थाश्रम छे. अने ते चतुर्थाश्रम नास्तिकपन्थनो नमुनो होवो जोईए एम लागे छे. एकंदर रीते जैन अने बौद्ध ए ब्राह्मण धर्मोमांथी निकळ्या एम मानवून योग्य लागे छे. मात्र जैन अने बौद्ध ए एकी वखते ब्राह्मणधर्मोमांथी निकळ्या एम नथी तो पण केटलाक वर्षे हळवे हळवे फेरफार थतां थतां परिणत अवस्थामां आवता गएला ब्राह्मणधर्ममांथी ते निकळ्या हशे एम मानवं विशेष प्रशस्त लागे छे. __जैनोए पोताना छेल्ला तीर्थङ्कर महावीर विषे जे विगतो आपी छे ते तपासतां अने जैनयतिओना नियमो तथा जैनोना अनेक आचार विचार तपासीशुं तो जैनधर्म बौद्धधर्ममांथी निकल्यो एम कहेवाने बिलकुल प्रमाण मळतुं नथी, बौद्ध अने जैन ए बन्ने धर्मोमांना मुख्य मुख्य मुद्दाओना मतो एटला बधा भिन्न छ के, बन्नेना मुख्य मतो एक छे अथवा सामान्य छे एम पण कही शकशेज नहीं. उदाहरण तरीके-बुद्धना निर्वाण विषे गमे
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