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पुष्कळ दिवस सुधी याद राखे छे. ( महावीरना आप्त संबंधी जनोना नामो अने गोत्रो कहेवाना विषे जैन लोकोनो विशेष लक्ष्य होय छे ) बुद्धे पोतानां धर्मनो उपदेश प्रथम क्षत्रिय लोकोमा कर्यो; तेज प्रमाणे जैनधर्मसंस्थापकोए पण ब्राह्मणो करतां क्षत्रियोनेज उपदेश करवान विशेष पसंद कयु. ए उपरथी महावीर अने बुद्ध ए बन्नेए पोताना धर्मनो प्रसार करवा माटे पोताना आप्त संबंधीओनी आ कार्यमा विशेष मदद ग्रहण करी. जैनोए अने बौद्धोए जे प्रदेशोमा पोताना धर्मनुं वर्चस्व महत्व स्थापन कर्यु ते प्रदेशोमां बीजा धर्मो उपर जैनोए अने बौद्धोए स्वसत्ता स्थापन करवामां ते प्रदेशोना जे मोटा मोटा वंशोना हता तेमनी साथे थएलो तेमनो संबंध घणे अंशे कारणभूत थयो. महावीरनी माताना संबंधथी मगध देशना राजवंशनी साथै संबंध थयो हतो. चेटक राजानी चेल्हणा नामनी पुत्रीनुराजगृहनगरीमा रहेनारा बिबसार राजानी साथे लग्न थएवं हतुं. जैनोए अने बौद्धोए बिंबसारने तो महावीरनो अने बुद्धनो भाश्रयदाता तरीके सारी रीते वर्णवेलो छे. चेल्हणाना उदरथी बिबसारनो कुणिक नामनो पुत्र थयो ( जेने बौद्ध अजातशत्रु कहे छे )
....१ श्रेणिक..
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