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________________ જૈન કોસ્મોલોજી .............................................पा।शष्ट-१ उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - (१) अहेलोए खेत्तलोए (२) तिरियलोए खेत्तलोए (३) उड्डलोए खेत्तलोए...॥ (श्री भगवती सूत्र/श.११/उ.१०/सू.२) ॐ तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा - (१) उद्धलोगे (२) अहोलोगे (३) तिरियलोगे... । __(श्री ठाणांग सूत्र-३/उ.२/सूत्र-१६१) (3) १४ रालोठनो यथार्थ हेलाव... (१) प. लोए णं भंते ! किं संठिए पण्णतं? उ. गोयमा ! सुपइट्ठसंठिए लोए पन्नत्ते, तं जहा - हेट्ठा वित्थिण्णे, मज्झे संखित्ते उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिते...।। (श्री भगवती सूत्र/श.११/उ.१०/सूत्र-९) x वैशाखस्थानस्थितकटिस्थकरयुगनराकृतिर्लोकः । भवति द्रव्यैः पूर्णेः, स्थित्युत्पत्तिव्ययाक्रान्तैः । (द्वादशभावना-लोकस्वभावभावना-५९) (२) (लोगविसए जमालिस्स भगवंत कय समाहाणं...) प. ...सासए लोए जमाली ? असासए लोए जमाली?... उ. ... सासए लोए जमाली ! जं णं कयावि णासि ण, कयावि ण भवति, ण कयावि ण भविस्सई, भूवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, तिणिए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, निच्चे असासए लोए जमालि ! जओ ओसप्पिणी भवित्ता, उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ... । (भा भूगार्नु पूर्वापराश थानुयो। ४मालीनi ४२५।माथी all से...) (श्री भगवती सूत्र/श.९/उ.३३/सूत्र-३४-३५) (३) प. कहि णं भंते ! लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स असंखेज्जति भाग ओगाहित्ता एत्थ णं लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते... ॥ (श्री भगवती सूत्र/श.१३/उ.४/सूत्र-६) (४) सोहम्मि दिवड्डा अड्डाइज्जा य रज्जु माहिदे । चत्तारि सहस्सारे पणच्चुए सत्त लोगान्ते । (लोकनालिका द्वात्रिंशिका-१५) + (त्रेलोक्यदीपिका-२१८) + (गाथा सहस्त्री-२८१) ___ (४) १४ रालो तथा त्राो लोठना भध्यस्थानो... (१) प. कहि णं भंते ! लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते ? उ. गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स असंखेज्जति भागं ओगाहित्ता एत्थ णं लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते ॥ ___ (श्री भगवती सूत्र/श.१३/उ.४/सूत्र-६) (२) प. कहि णं भंते ! अहे लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते ? उ. गोयमा ! चउत्थीए पंकपभाए उवासंतरस्स सातिरेगं अद्धं ओगाहित्ता एत्थ णं अहे लोगस्स आयाम-मज्झे पण्णत्ते... ॥ ( श्री भगवती सूत्र/श.१३/उ.४/सूत्र-७) (३६२ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005233
Book TitleJain Cosmology Sarvagna Kathit Vishva Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitraratnavijay
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year2012
Total Pages530
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size28 MB
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