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________________ कल्प ॥ ४॥ CAMER बाकीना नांगानो निषेध कर्यो . ते विषे जगवती सूत्रमा लख्युं . वली जे त्रिशला क्षत्रियाणीनो 81 टू पुत्रीरूप गर्न हतो तेने पण देवानंदा ब्राह्मणीनी कुदिमां मूके डे, तेम करीने पनी जे दिशामांथी पोते है श्राव्यो ते दिशा प्रत्ये जाय.पनी असंख्य द्वीपसमुसोनी मध्यमांथलद योजन प्रमाण दिव्य गतिथी है। उमतो ते ज्यां सौधर्म कल्पमां सौधर्मावतंसक नामना विमानने विषेशक नामनासिंहासन उपर देवेंजर देवराज शक्रेज रहेलो डे त्यां आवे.त्यां श्रावीने इंजनी थाझाने तुरत प्रत्यर्पित करे . ते काले ते समये 8 वर्षाकाल संबंधी त्रीजो मास, पांचमुं पखवामीयु ते आश्विन मासनो कृष्णपक्ष, तेनी त्रयोदशीनो पक्ष दार्थात पाबली अर्धरात्रि, ते रात्रिनेविषे ब्याशी अहोरात्र अतिक्रांत थया पबीत्र्याशीमा अहोरात्रनोट अंतरकाल एटले रात्रिनो काल प्रवर्त्तता ते हरिणैगमेषी देवताए त्रिशला मातानी कुदिमां ते श्रमण ? नगवंत महावीरनो गर्न सहयो. ते हरिणेगमेषी देव केवो हतो केजे पोतानो अने इंजनो हितकारी || वली अनुकंपक एटले नगवंतनो जक्त जे. अनुकंपा शब्द नक्तिवाचक नेते विषे 'आयरिय' ए वचन-प्र-18 माण जे. अहीं कवि उत्प्रेक्षा करे बे-“श्रीनगवंत सिद्धार्थ राजाना प्राप्तकुलना घरमा प्रवेश करवाने क-हू + णवार मुहूर्त आववानी राह जोता होय तेम जे ब्राह्मणना घरमा ब्याशी अहोरात्र सुधी रह्या हता, ते । श्रीवरम तीर्थकर प्रनु पवित्र करो. ते संहरण काले श्रमणजगवंत श्रीमहावीर त्रण झाने युक्त हता, तेथी। पोतानुं संदरण थवानुं ते जाणे बे, पण संहरण थती वखते जाणता नथी अने मारुंगर्जमांथी संहरण ६ थयुंए जाणे .अहीं शंका थाय ले के संहरण थती वखते ते जाणतानथी ते वात केम संजवे? कारण के ते संहरण असंख्य समयनुं ने, वली जगवंत श्रने संहरण करनार हरिणैगमेषी देवना ज्ञाननो है ते विषय डे, तेम तेनी अपेक्षाए नगवंतने विशिष्ट ज्ञान ले. तेना उत्तरमा कहे जे के या वाक्य संहरण है करनारा देवनी कुशलताने जणावे . ते देवताए नगवंतनुं एवी रीते संहरण कयु के जेथी नगवंते जाएयु तोपण जाणे जाएयुज न होय तेम लाग्युं, कारण के कांश पण पीडानो अनाव हतो. जेम 8 को कहे डे के तमे मारा पगमाथी एवी रीते कांटो काढ्यो के जे मारा जाणवामांज श्राव्यु ASACRORAN ॥२४॥ For Private & Personal Use Only Hainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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