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४ कल्पसूत्र सुवोधिकाना नाषांतरनी श्रा चोथी श्रावृत्ति अमारा तरफथी बहार पामवामां आवेल ने. है था ( चोथी ) श्रावृत्तिनां थोमां फारमो श्रागलनी श्रावृत्ति मुजब उपाया पठी अमने मालूम पड्यु |
के श्रागलनी श्रावृत्तिमा नाषांतर करनारे केटलोएक जाग पम्तो मूकी दीधो ले तेमज तेना। हस्तक केटलीक जग्योए अशुछिरही गयेल , तेथी पम्तो मूकेलो नाग दाखल करावी, अशुछिनु । बनी शक्या मुजब संशोधन करावी तथा बेवटना नागनुं फरीथी नाषांतर करावी या आवृत्ति है
बदार पारवामां थावी . तेनी अंदर दृष्टिदोषथी तेमज मतिमंदताने लीधे कां पण नूलो रही लग होय तो मुनि महाराजा तेमज सुइ श्रावकबंधु सुधारीने वांचशे तथा ते नूलो लखी जणावर
श्रमने उपकृत करशे तो हवे पळीनी श्रावृत्तिमां शरुयातनो नाग जे संशोधन करावीने सुधार-3 वानो ने तेनी साथे था नूलो पण सुधारी शकाशे. इत्यलं विस्तरेण.
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सी.
घर नं. २२५ थी २३१ शाकगही, मांगवी, मुंबर,
वीर संवत् २४४१ विक्रम संवत् १९७१
श्रावण पूर्णिमा
श्रावक नीमसिंह माणेकना
कार्यप्रवर्तक शा, नाणजी माया.
NSAR
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