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________________ कल्प सुबोध ॥१३॥ मूत्रनुं अने त्रीजुं श्लेष्मनु. मात्रं (पात्र ) न होवाथी वखत बीती जबाने लीधे उतावल करतां । थात्मविराधना थाय तथा वरसाद वरसतो होय तो बहार जवामां संयमविराधना थाय. ५६. है 'धुवा लो न जिणाणं,निच्चं थेराण वासावासासु' एटले जिनकल्पीने निरंतर अने स्थविरकल्पीने ॥ चतुर्मासमां नित्य लोच कराववो ए वचनथी चोमासु रहेल साधु साध्वीने असाड चतुर्मास पली लांबा केश तो दूर रहो, परंतु गायना रुंवा सरखा पण केश राखवा कल्पे नहीं; तेथी ते रात्रि एटले नाउपद सुदि पांचमनी रात्रि अने हाल सुदि चोथनी रात्रि उलंघवी जोए नहीं. ते पहेलांजर लोच कराववो जोए. तेनो श्रा जाव ले. जो समर्थ होय तो चोमासामा हमेशां लोच कराववो. है जो असमर्थ होय तो ते रात्रि (जाउपद सुदिप नी रात्रि)उलंघवी जोइए नहीं. पर्युषणा पर्वमा लोच विना अवश्ये करीने प्रतिक्रमण करवं कल्पे नहीं, कारण के केश राखबाथी अप्कायनी विराधना थाय ने अने तेना संसर्गथी जुनी उत्पत्ति थाय ने अने केश खणतां थका ते जुर्जनो वध । थाय ने अथवा माथामां नख वागे . जो अस्त्राथी अथवा कातरथी मुंडन करावे तो आज्ञाजंग श्रादि दोषो थाय , संयम अने श्रात्मानी विराधना थाय ने, जुनो वध थाय , हजाम पश्चात्-3 कर्म' करे ने अने शासननी अपनाजना थाय ने तेथी लोचन श्रेष्ठ ले. जो कोश् लोच सहन न है करी शके, अथवा लोच करवाथी कोइने ताव आदि आवी जवा संजव होय, अथवा बालक होवाथी है। रमे अथवा तेथी धर्म त्यजी दे तो तेणे लोच करवो नहीं. साधुए उत्सर्गथी लोच करवो जोए । अने अपवादथी बाल, ग्लान आदिए मुंमन कराव जोश्ए. तेमांप्रासुक जल वमे मायाने धोश्ने ४ प्रासक पाणीथी नापित (हजाम ) ना हाथ पण धोवराववा. जे शस्त्राथी (सुमन ) कराववाने|| असमर्थ होय अथवा जेना माथामां गुंबमां आदि थयेल होय तेना केश कातरवा कल्पे. (पंदर अपंदर दिवसे शय्याना बंध बुटा करवा ने प्रतिलेखवा जोशए अथवा सर्व काल पंदर पंदर दिवसे १ हजाम हजामत कर्या पली हाथ, वस्त्र, शस्त्रादि धोवे घसे ते पश्चात्कर्म. ॥१३॥ Jan Education international For Private Personal Use Only Einaryong
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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