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________________ कल्प० ॥१३४॥ जपावेलुं नहीं एवो साधु के जेने माटे थाहार लाववामां श्राव्यो होय ते जो इछा होय तो आहार में सुबो० करे ने जो इछा न होय तो आहार न करे श्रने जलदुं श्रा प्रमाणे कहे के " को कयुं हतुं के तुं श्रा लाव्यो?" वली जो इछा वगर दाक्षिण्यताए ते खाय तो अजीर्ण या दिथी दुःख याय ने चोमासामां | कदी परठववुं पडे तो स्थं मिलना दुर्लजपणाने लीचे दोषापत्ति थाय तेटलामाटे पूढीने घ्यावं. ४१. १५ चोमासुं रहेल साधु साध्वीने पाणीथी टपकता (नीतरता ) शरीरे तथा थोमा पाणीथी | जीजायेल शरीरे प्रशन यादिक ( चार प्रकारनो) आहार करवो कल्पे नहीं. ४२. “हे पूज्य ! ते शामाटे ?” एम शिष्ये प्रश्न कर्ये बते गुरु कहे बे के जेमां लांबे काले पाणी सुकाय एवां पाणी रहे | वानां सात स्थान जिनेश्वरोए कहेलां बे. ते या प्रमाणे - वे हाथ १, हाथनी रेखा ( श्रायुरेखा यादि, कारण के तेमां लांबे काले पाणी सुकाय वे ) २, ( अखंग ) नख ३, नखना छा जाग ४, जमर ( अांखनी उपरना वाल , दाढी ६ ने मूढ ७. दवे वली एम जाणे के मारुं शरीर पाणीरहित बे-तद्दन सुकाइ गयुं वे त्यारे ते साधुने अशन आदिक ( चार प्रकारना ) आदार करवा कल्पे. ४३. १६ चोमासुं रहेला साधु साध्वीउने यहीं ( जिनशासनने विषे ) निश्चे या ( दवे कहेवाशे ते ) श्राव सूक्ष्मो बे, जे बद्मस्थ साधु साध्वीए वारंवार ज्यां ज्यां ते स्थान करे त्यां त्यां सूत्रना उपदेश वडे जाणवा योग्य वे, यांखथी जोवानां वे अने जाणीने तथा जोइने प्रतिलेखवानां बे (परिहरवाना होवाथी विचारवा योग्य बे ). ते आठ सूक्ष्मो या प्रमाणे बे-सूक्ष्म प्राणो ( जीवो ) १, सूक्ष्म पनक फुल्लि २, सूक्ष्म बीज ३, सूक्ष्म हरित ४, सूक्ष्म पुष्प ५, सूक्ष्म मां ६, सूक्ष्म बिल (दर) 9 ने सूक्ष्म स्नेह ( काय ) ८. ते क्या सूक्ष्म प्राणो ? एम शिष्ये पूक्याथी गुरु कहे वे के तीर्थंकर छाने गणधरोए पांच प्रकार (वर्ण) ना सूक्ष्म प्राण कह्या बे. ते या प्रमाणे- काला, नीला, पीला ने धोला. एक वर्णमां हजारो नेदो अने बहु प्रकारना संयोगो बे. ते सर्वे कृष्ण आदि। पांचे वर्णमां वतरे वे ( समावेश याय वे ). अणुद्धरी नामे कुंथुचानी जाति बे जे स्थित रहेली | राता, Jain Education International For Private & Personal Use Only ॥१३४॥ www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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