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________________ कल्प ॥११॥ श्रेणिमां गौरेय, गांधार प्रमुख श्राप निकायोने तथा रथनूपुरचक्रवाल प्रमुख पचास नगरोने भने सुबोग उत्तरश्रेणिमा पंझक वंशालय प्रमुख आठ निकायोने तथा गगनवसन प्रमुख साठ नगरोने वसावीने रहो. पली कृतार्थ थयेला ते बंने पोतानां मातापिताने तथा जरतने पोतानो वृत्तांत कहीने दक्षिणश्रेणिमा नमि अने उत्तरश्रेणिमा विनमि जश्ने रह्या. है| हवे अन्नपान आदि देवामां अकुशल एवा समृद्धिवाला लोको प्रजुने वस्त्र, आजरण, कन्या || विगेरे आपवा लाग्या, पण योग्य निदा नहीं मलवा बतां क्लेशरहित मनवाला प्रनु कुरुदेशमा हस्तिनागपुर नगर तरफ गया, अने त्यां ( आवश्यकवृत्तिने अनुसारे ) बाहुबलिना पुत्र सोमप्रजनो पुत्र श्रेयांस युवराज हतो. ते श्रेयांसे ते रात्रिए एवं स्वप्न दी के "में श्याम वर्णना मेरुने । अमृतना कलशोथी सिंचन कर्यो तेथी ते अत्यंत शोनावालो थयो.” त्यांना सुबुद्धि नामना नगरशेठे एवं स्वप्न जोडे के सूर्यमंमलथी खरी पडेला हजार किरणोने फरीथी श्रेयांसे त्यां जोमी दीधा तेथी ते सूर्य घणोज शोजवा लाग्यो.” त्यांना राजाए (सोमप्रने) स्वप्नमां एम जोडेर के “एक महा पुरुष शत्रुना लश्करनी साथे लमतो हतो ते श्रेयांसनी सहायथी विजयी थयो." ते त्रणे जणाए सवारमा सनामां एकठा थश्ने पोतपोतानां स्वप्न परस्पर निवेदन कया. तेथी| है"श्रेयांसने कोई पण मोटो लान थवानो ने” एम राजाए निर्णय करीने सजाने विसर्जन करी.13 श्रेयांस पण पोताने घेर जश्ने फरुखामां बेगे तेवामां "प्रनु कां पण लेता नथी” एवो लोकोनो कोलाहल सांजलीने अने प्रजुने जोश्ने "में कोइ पण जगोए पूर्वे आवो वेश जोयो ।” एम हा. पोह करतां श्रेयांसने जातिस्मरणशान उत्पन्न थयु. तेथी तेणे जाएयुं के "अहो ! हुँ तो पूर्व र नवमां प्रजुनो सारथि हतो अने प्रजुनी साथे में दीदा लीधी हती अने ते वखते वज्रसेन प्रजुए ॥११॥ है कयु हतुं के श्रा वजनान नरतक्षेत्रमा पहेला तीर्थंकर थशे, तेज था प्रनु बे.” हवे तेज वखते १ सोमयशा. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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