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________________ कल्प० ॥१०६ ॥ अमारो याचार बे” एम विचारीने क्रोमोगमे देव देवी सहित त्यां श्रावीने प्रजुनुं वर संबंधी कार्य पोते कर्यु ने बने कन्यानुं वधू संबंधी कार्य इंद्राणीए ने देवीए कर्यु. त्यारपढी ते बने स्त्री साथै जोग जोगवता जगवानने व लाख पूर्व गये बते सुमंगलाए जरत ने ब्राह्मी - रूप युगलने जन्म श्राप्यो तथा सुनंदाए बाहुबलि ने सुंदरीरूप युगलने जन्म श्राप्यो . त्यारपढी सुमंगलाए अनुक्रमे गणपचास पुत्रयुगलने जन्म श्राप्यो. अन् कौश लिक श्री रुषजदेव प्रजु काश्यपगोत्रीनां पांच नाम था प्रमाणे कहेवाय वे. १ षन, २ प्र| थम राजा, ३ प्रथम निशाचर (मुनि), ४ प्रथम जिन ( केवली) ने ५ प्रथम तीर्थंकर ए प्रमाणे जाणवतं. ( तेमां ) प्रथम राजा श्री प्रमाणे - कालना प्रजावने लीधे अनुक्रमे वधारे वधारे कषायनो उदय थवाथी परस्पर विवाद करता युगलियाने माटे या प्रमाणे दंमनीति स्थापली हती. विम | लवाहन ने चक्षुष्मत् कुलकरना वखतमां अल्प अपराधीपणाने लीधे हक्काररूपज दंमनीति हती तथा यशस्वी ने अनिचंडना वखतमां अल्प अपराध माटे हक्काररूप अने मोटा अपराध | माटे मकाररूप दंकनीति हती. पढी प्रसेनजित् मरुदेव ने नानि कुलकरना वखतमां जघन्य, मध्यम अने उत्कृष्ट अपराध माटे अनुक्रमे दकार, मकार ने धिक्काररूप दंमनीति हती. एवी रीतनी नीतिनुं पण उल्लंघन थवाथी जगवानने ज्ञान आदि गुणोए करीने अधिक जाणीने युग| लियाउए प्रजुने ते वात निवेदन कर्ये ते प्रजुए कयुं के "नीति उल्लंघन करनारने राजा सर्व | प्रकारनो दंग करे अने ते राजानो अभिषेक थवो जोइए तथा ते प्रधान व्यादिकथी परिवृत होवो जोइए." प्रजुए था प्रमाणे कयुं त्यारे युगलियार्जए कयुं के “मारे पण एवो राजा था.” त्यारे प्रजुए कयुं के "तेवा राजा माटेनी मागणी नानि कुलकर पासे करो.” युगलियार्जए नाजि | कुलकर पासे मागणी करवाथी नानि कुलकरे कयुं के "तमारा राजा षनज था.” पढी ते युगलिया राज्या निषेकने माटे पाणी लेवा सारु तलावे गया. ते वखते जेनुं व्यसन कंप्युं बे एवा Jain Education International For Private & Personal Use Only सुबो० ॥१०६॥ www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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