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________________ उतर्या अने नीचे उतरीने पोतानी मेलेज बाजरण, माला अने अलंकारोने उतारी नाख्या, पोतानी मेले पंचमुष्टि लोच को अने लोच करीने जलपान रहित एवो बहनो तप करीने चित्रा नद मां चंडयोग प्राप्त थये बते एक देवयूष्य वस्त्र लश्ने एक हजार पुरुषनी साथे मुंग थश्ने घरधी गानीकली साधुपणाने प्राप्त थया अर्थात् दीक्षा ग्रहण करी. | अहन् श्री नेमिनाथ प्रनु चोपन अहोरात्र सुधी निरंतर कायाने वोसरावीने रद्या हता. अहीं। पूर्वे कहेढुं सघj कहेते ज्यांसुधीमां पंचावनमा अहोरात्रनी मध्ये वर्तता एवा तथा था, वर्षाकालनो त्रीजो महीनो, पांचमुं पखवामीयु, ते आश्विन मासनो कृष्णपक्ष, ते थाश्विन १ मासनी श्रमासने दिवसे, दिवसना पाउला पोहोरे, गिरनार पर्वतना शिखर पर, वेतस नामना वृदनी नीचे जलरहित अहमनो तय होते ते, तथा चित्रा नक्षत्रमां चंयोग प्राप्त थये ते शुक्लध्यानना प्रथम बे नेदतुं ध्यान धरता एवा प्रजुने केवलज्ञान अने केवलदर्शन उत्पन्न थयां, यावत् सर्व जावोने जाणता अने जोता थका प्रनु विचरवा लाग्या. | एवी रीते प्रजुने रैवताचल पर्वत पर सहस्राम्रवनमां केवलज्ञान उत्पन्न थयुं, ते वखते उद्यान-2 पालके श्री कृष्ण पासे जश्ने तेने वधामणी आपी. त्यारे श्री कृष्ण पण मोटा आवरथी प्रजुने । वांदवा श्राव्या; ते वखते राजीमती पण त्यां आव्या. पनी प्रजुनी देशनासांजलीने वरदत्त राजाए बे* हजार राजाउनी साथे व्रत लीधुं (दीक्षा लीधी). पठी त्यां श्री कृष्णे राजीमतीना स्नेहन कारण पूच्याथी प्रजुए धनवतीना जवथी मांमीने तेनी साथेना पोतानो नव नवनो संबंध कही संजलाव्यो. ते श्रा ६प्रमाणे-पहेला जवने विषे हुं धन नामे राजपुत्र हतो त्यारे ते धनवती नामे मारी पत्नी हती १, त्यारपबीबीजा नवने विषे श्रमे बंने पहेला देवलोकनेविषे देव देवीपणे नत्पन्न थया तांत्यारपड़ी त्रीजा नवने विषे हुँ चित्रगति नामे विद्याधर हतो त्यारे ते रत्नवती नामे मारी स्त्री हती ३, १ गुजराती नाप्रपद मासनी अमासने दिवसे. Jain Education international For Private Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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