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________________ कल्प० ॥ ए४ ॥ Jain Educatio हवे ते कालने विषे तथा ते समयने विषे पुरुषप्रधान अर्हन् श्री पार्श्वनाथ प्रभु या शीयालानो बीजो महीनो, त्रीजुं पखवामीयुं, ते पोष मासनो कृष्णपक्ष, ते पोष मासना कृष्णपनी दर्शमने दिवसे नव मास बराबर परिपूर्ण थये बते ने सामा सात दिवस गये बते मध्य रात्रिने विषे विशाखा नक्षत्रमां चंद्रयोग प्राप्त थये बते आरोग्य एवा वामादेवीनी कुक्षिए रोगरहित पुत्रपणे उत्पन्न थया. जे रात्रिने विषे पुरुषप्रधान श्रईन् श्री पार्श्वनाथ प्रभु जन्म्या ते रात्रि घणा देव, देवीए करीने यावत् घणी श्राकुल थर होय तेम अव्यक्त शब्दथी कोलाहलमयी य. बाकीनो प्रजुनो जन्ममहोत्सव विगेरेनो वृत्तांत श्री वीर प्रजुनी पेठे जाणी लेवो, पण ते जन्मोत्सव | विगेरेमां श्रीपार्श्वनाथनुं नाम कहे बुं, ते या कुमारनुं पार्श्व एवं नाम था त्यांसुधी कहेतुं प्रभु ज्यारे गर्नमां हता, त्यारे शय्यामां रहेली माताए पोतानी पमखेथी जता कृष्ण सर्पने जोयो हतो, तेथी तेमनुं "पार्श्व" । एवं नामपाड्यं श्रने क्रमे करी ते यौवनने प्राप्त थया. ते या प्रमाणे- इंद्रे यादिष्ट करेली धात्री थी लालन कराता एवा ते प्रभु नव हाथ प्रमाणना अंगवाला थया थका क्रमे यौवन व्यवस्थाने पाम्या. पछी कुशस्थलना राजा प्रसेनजितनी प्रजावती नामनी कन्या साथे मातापिताए आग्रह थी प्रजुनो विवाह कर्यो. हवे एक दहाको प्रजु ऊरुखामां बेठेला वे, ते वखते एक दिशा तरफ पुष्प यादिक पूजानां | उपकरणो सहित जता नगरजनोने जोइने तेमणे कोने पूब्धुं के या लोको क्यां जाय बे ? त्यारे ते माणसे प्रजुने कयुं के हे स्वामिन् ! कोइक गाममामां रहेनारो, तथा जेनां माबाप पण मरी गयेलां बे एवो एक कमठ नामनो दरिद्री ब्राह्मणपुत्र तो अने लोको दया लावी कंक तेने पीने तेनी याजीविका चलावता हता. एक दहामो तेणे रत्नाजरथी नूषित थयेला नगरना लोकोने जोश्ने हो ! या सघली रुद्धि पूर्व जन्मना तपनुं फल वे एम विचारी ते पंचाग्नि आदि १ गुजराती मागसर वदि दशमने दिवसे. Intentional For Private & Personal Use Only सुवो० ॥ ए४ ॥ Ajainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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