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________________ कल्प० ॥ ५५ ॥ हित नमीने हर्षपूर्वक गंधोदक तथा पुष्पोना समूहनी वृष्टि करती हवी. तथा नंदोत्तरा, नंदा, श्रानंदा, नंदिवर्धना, विजया, वैजयंती, जयंती ने अपराजिता नामनी आठ दिक्कुमारिकार्ड पूर्व | रुचकर्थी घ्यावीने गामीमां जोवा माटे दर्पणने धारण करती हवी. तथा समाहारा, सुप्रदत्ता, सुप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्ता तथा वसुंधरा नामनी आठ दिक्कुमा रिकार्ड द ऋणि रुचकथी घ्यावीने स्नानने माटे जरेला कलशार्जने हाथमां धारण करीने गीतगान करवा लागी. तथा इलादेवी, सुरादेवी, पृथिवी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, जडा अने शीता नामनी आठ | दिक्कुमारिकार्ड पश्चिम रुचकथी श्रावीने पवन माटे हाथमां पंखार्ज लइने उनी तथा अलंबुसा, मितकेशी, पुंमरीका, वारुणी, हासा, सर्वप्रजा, श्री अने ही ए नामे या दिक्कुमारिकार्ड उत्तर | रुचकथी यावीने चामर वींजवा लागी तथा चित्रा, चित्रकरा, शतेरा ने वसुदामिनी ए चार | कुमारिकार्ड विदिग् रुचकाप्रियी यावीने हाथमां दीवा लइ विदिशामां उजी तथा रूपा, रूपासिका, सुरूपा ने रूपवती नामनी चार दिक्कुमारिकार्ड रुचक द्वीपथी यावी, अने चार अंगुली बेटे नालने बेदीने खोदेला खामामां दाटी, तथा ते खामाने वैदुर्य मणिथी पूरीने, तेना पर पीठ बनाव्युं, तथा तेने पूर्वाधी बांधीने, ते जन्मगृहथी पूर्व दिशामां, दक्षिण | दिशामां ने उत्तर दिशामां एम त्रण दिशाउंमां त्रण केलनां घरो बनाव्यां. ते मांथी दक्षिण तरफना केलना घरमा ते बन्नेने ( मातापुत्रने ) लइ जश्ने, ते ए तेमने अभ्यंग (तैलमर्दन ) कर्यु तथा पठी पूर्व तरफना घरमां स्नान करावी, कपमां तथा आभूषणो पराव्यां पढी उत्तर | तरफना केलना घरमां बे धरणीनां काष्ठो घसीने, तेमांथी अग्नि निपजावी, चंदनथी होम करीने ते ए बन्नेने रक्षापोटली बांधी तथा पढी मणिना वे गोलाई श्रास्फालती थकी "तमो पवर्त जेटला श्रायुव्यवाला था" एम कही प्रभुने तथा तेमनी माताने जन्मस्थान के मूकीने ते पोतपोताने स्थानके ग. ते दिक्कुमारिर्जनी साथे प्रत्येकना चार हजार सामानिक देवो होय, चार मदत्तराज होय, सोल Jain Education International For Private & Personal Use Only सुवो० 11 42 11 www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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