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________________ स्वप्न जोश्ने जागी जाय , श्रने मंमलिकनी माता मंडलिक गर्नमां श्रावते ते श्रा चौद महा स्वप्न-2 मांथी मात्र एक स्वप्नने जोश्ने जागी जाय ;माटे हे देवानुप्रिय !आ त्रिशला क्षत्रियाणीए तो आ3 चौदे महा स्वप्नो जोयेला , माटे हे देवानुप्रिय !आ त्रिशला कृत्रियाणीए ए प्रशस्त स्वप्न जोयेला .18 हे देवानुप्रिय! त्रिशला दत्रियाणीए यावत् मंगलकारक स्वप्न जोयेला . तेथी हे देवानुप्रिय! तमोने है। अर्थनो लाल, जोगनो लान, पुत्रनो लाज, सुखनो लान अने राज्यनो लान थशे; श्रने एवे प्रकारे दे। देवानुप्रिय ! त्रिशला क्षत्रियाणी नव मास संपूर्ण थश् सामा सात रात्रि दिवस जाते ते तमाराकुऐलमां ध्वज समान, दीपक समान, मुकुट समान, पर्वत समान, तिलक समान, कुलनी कीर्त्तिना कर-18 नार, कुलना निर्वाह करनार, कुलमां सूर्य समान, कुलना आधाररूप, कुलना यश करनार, कुलने । विषवृक्ष समान, कुलनी परंपराने वधारनार, सुकोमल हाथपगनां तलीयावाला, नहीं ओबा एवा । परिपूर्ण पंचेंजिय युक्त शरीरवाला, लक्षण अने व्यंजनना गुणोए करीने युक्त, मान अने उन्मानना 2 प्रमाणथी परिपूर्ण अने सारी रीते प्रगट थयेला अवयवोए करीने सुंदर अंगवाला, चंड़ समान म-18 नोहर श्राकृतिवाला, प्रिय, प्रियदर्शनी श्रने सुंदर रूपवाला एवा पुत्रने जन्म आपशे. वली ते पुत्र वाव्य अवस्थाने तजीने परिपक्व विज्ञानवाला यश् यौवनावस्थाने प्राप्त थये बते दानादिक आपवामा शूरा, संग्रामने विषे वीर, परराज्यने आक्रमण करवामां समर्थ, घणा विस्तार युक्त सेना तथा वाहन-2 वाला अने चारे दिशाना स्वामी एवा चक्रवर्ती राज्यपति राजा थशे, तेमज त्रण लोकना नायक अने धर्मने विषे श्रेष्ठ एवा चार गतिना नाश करनार चक्रवर्ती जिनेश्वर थशे. | तेमां जिनपणामां ते चौदे स्वप्ननां पृथक पृथक फलो नीचे प्रमाणे जाणवां. चार दांतवाला हाथीने जोवाथी चार प्रकारना धर्मने ते कहेशे. वृषनने जोवाथी आ जरतक्षेत्रमा ते बोधिरूपी बीजने वावशे.. सिंहने जोवाथी कामदेव श्रादिकरूप जे उन्मत्त हाथीश्रो, तेणे करीने नंगातुं एवं जे व्यजनरूपी वन, तेनी रदा करशे. लदमीने जोवाथी वार्षिक दान दश्ने तीर्थकरनी लदमीने जोगवशे. माला जो JanEducation international For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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