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अने उठीने पादपी थी नीचे उतरे बें, अने नीचे उतरान । चत्तन। उत्सुकता राहत, कायाना चपलता रहित, स्खलना रहित, विलंब रहित एवी राजहंसना जेवी गति वडे ज्यां शय्यागृह वे अने ज्यां सिद्धार्थ क्षत्रिय वे त्यां श्रावे वे अने घ्यावीने तेवी रीतनी वाणीए करीने, बोलती की तेने जगामवा लागी. हवे ते वाणी केवी बे तो के विशिष्ट कहेतां उत्तम उत्तम जातिर्जना जे गुणो तेर्जए करीने संयुक्त कहेतां जरेली | एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के इष्ट कहेतां ते सिद्धार्थ क्षत्रियना मनने वल्लन लागे एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के हमेशां वांबित बे श्रने तेथी करीने प्रिय एवी वली ते वाणी केवी बे तो के मनने विनोद कराववावाली, अने तेथी करीनेज मनने गमे तेवी, पण कोइ दहामो मूली जवाय नहीं एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के उदार कक्षेतां सुंदर एवो बे ध्वनि कहेतां अवाज जेनो एवा 'जे वर्णो कहेतां अक्षरो, तेर्जए करीने संयुत थएली एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के कल्याण कहेतां समस्त प्रकारनी जे समृद्धि, तेउने करनारी. वली तेवाणी केवी बे तो के शिव कहेतां कोइ पण प्रकारना जे उपद्रवो कहेतां विघ्नो तेर्जए करीने रहित एवी, कारण के ते वाणी मां एवा तो अक्षरो गोठवेला हता के जेथी बिलकुल उपद्रव थवानो तो संजवज नहोतो, अने तेथी करीनेज धन्य कहेतां धननी जे प्राप्ति, तेने कराववावाली. वली ते वाणी केवी ठे तो के मंगल कहेतां जे कल्याण, ते करवामां प्रवीण एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के शोजाए करीने युक्त, अर्थात् अलंकारोए करीने विराजित एली. वली ते वाणी केवी बे तो के सुकुमाल कहेतां सुखे करीने तेनो अर्थ जणाइ जाय अने तेथी करीने हृदयने अत्यंत प्यारी लागे एवी. वली ते वाणी केवी बे तो के हृदयने प्रह्लाद करनारी, एटले हृदयमा रहेलो जे चिंता या दिकनो शोक, तेना उच्छेदने करनारी. वली ते वाणी केवी वे तो के मित कहेतां अल्प एटले थोमा बे शब्दो जेनी अंदर एवी, अने बहु बे अर्थ कहेतां जावार्थ जेनी अंदर एवी, तथा मधुर कहेतां कानने अत्यंत सुखनी करनारी एवी, तथा मंजुल कतां उत्तम लालित्य कदेतां ऊडऊ| मकवाला शब्दो ने वाक्यो तथा वर्णोंवाली, (एवी रीते यहीं त्रणे पदनो कर्मधारय समास करी लेवो,)
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