________________
CORRECORROSCRICROCIRCRACHCHEACHEDCLOCALLOW
॥ श्रीजिनाय नमः॥ ॥ कल्पसूत्र सुबोधिकानुं गुजराती भाषांतर ॥
टीकाकार श्रीविनयविजयजी महाराज मंगलाचरण करे . परम कल्याणने करनारा श्रीजगदीश्वर अर्हत प्रजुने प्रणाम करी हुँ बाल श्रन्यासीउने उपकार । करनारी सुबोधिका नामे कल्पसूत्रनी टीका करुं बुं. १ श्रा कल्पसूत्र उपर निपुण बुद्धिवाला पुरु-14 षोने गम्य एवी जो के घणी टीका , तथापि अपबुद्धिवाला पुरुषोने बोध थाय तेवा हेतुथी। श्रा टीका करवा विष मारो प्रयत्न सफल . २ जोके सूर्यनी घणी कांति सर्व लोकोने वस्तुनो बोध करनारी होय , तथापि नूमिगृह (जोयरा)मां रहेला माणसोने तो तत्काल दीपिकाज उपकार करे| बे. ३ था टीकामां विशेष अर्थ कर्या नथी, युक्ति बतावी नथी, अने पद्यपामित्य दर्शाव्यु नयी पण मात्र बाल बुद्धि अन्यासीउने बोध थवाने अर्थनी व्याख्याज आपेली ३.४ जो के हुँ अपबुद्धिवालो थर था टीका रचुं बुं पण सत्पुरुषोने उपहास्य नहीं था, कारण के ते सत्पुरुषो एवो उप-18
देश करे ने के, “सर्व माणसोए कल्याणमा यथाशक्ति यत्न करवो जोइए." ५ 2 अहीश्रा पूर्व काले नवकल्प विहार करवानाक्रम वडे प्राप्त थयेला योग्य क्षेत्रमांअने सांप्रत काले । परंपराथी गुरुए आदेश करेला क्षेत्रमा चतुर्मास रहेला साधु कल्याण निमित्ते श्रानंदपुरमा सना 3 समक्ष वांच्या पली संघनी समक्ष पांच दिवस अने नव क्षणे श्रीकल्पसूत्रने वांचे नेते कल्पसूत्रमा कल्प हूँ शब्द वडे साधुजनो आचार कहेवाय . ते कल्प-श्राचारना दश नेद देते श्राप्रमाणे:-१श्राचेलक्य,
औदेशिक, ३ शय्यातर, ४ राजपिम, ५ कृतिकर्म, ६ व्रत, ज्येष्ठ, प्रतिक्रमण, ए मास कम्प, १० पर्युषणा. ते दश कल्पनी व्याख्या था प्रमाणे जे.
CRENC0-%AMSANCHAMICROCRACLECRECROCESCALCHOCHOCALSOME
ANC)
Jan Education international
For Private Personal Use Only
wom.jainelibrary.org