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निबंध ( हिन्दी )
स्त्रिओको उनके अधिकार दो जैन संस्कृतिका संदेश
:
जैन दार्शनिक साहित्यका सिंहावलोकन :
: जैन प्रकाश ४-६ -'२९.
भगवान महावीर और महात्मा गांधी : संन्यासमार्ग — उत्थान, पतन और
परिवर्तन :
आधुनिक गुजराती साहित्यका
:
प्राणशक्ति कहाँ गई क्षमाश्रमण गांधीजी (गुज. से अनु.) : भक्तिमार्ग और जैन दर्शन
:
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श्रमण महावीरका संघ
धर्मका पुनरुद्धार और संस्कृति का
नवनिर्माण :
दिग्दर्शन : जनवाणि, मई '४८.
बनारस में एक सांस्कृतिक अनुष्ठान : जैनधर्म और जातिवाद बालदीक्षा मत दो
:
दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म
बौद्धधर्म
चातुर्मास
३२ ]
तरुण जैन, मई जून '४८. नयासमाज, अगस्त १४८. जनवाणी, अप्रिल ४९. : श्रमण, जुलाई ४९.
विश्ववाणी, सितंबर, '४२. प्रेमी अभिनंदन - ग्रंथ, ओक्टोबर '४६
:
तरुण जैन, सितंबर ४७.
:
तरुण जैन, जनवरी '४८ मूल गु. 'जैन' २३-९-२४७.
:
: तरुण, दिसंबर, १४९.
श्रमण, जान्यु. ५०
नया समाज, अक्तू '४९. श्रमण, १. १. नवे. '४९. श्रमण, १. २. डिसे. '४९.
श्रमण, मार्च १५०.
श्रमण १. ७ मई ५०.
श्रमण अगस्त ५०.
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